इंसान अपने किसी अंग के बिना भी जीवित रहने में सक्षम है. उसकी देखभाल के लिए उसके अपने होते हैं, वह खुद के प्रयास से भी स्थिति को काफी हद तक अपने अनुकूल बना सकता है लेकिन वहीं अगर किसी जानवर का कोई महत्वपूर्ण अंग उसके शरीर से अलग हो जाए तो वह क्या करेगा ? अन्य जानवरों का तो पता नहीं लेकिन थाईलैंड के हाथी खुशकिस्मत हैं जो उनके पास ये ऑस्ट्रेलियाई पशु चिकित्सक है.
डॉ क्लोइ बनी हाथियों की मसीहा
कुछ साल पहले थाईलैंड-म्यांमार सरहद के पास कुछ हाथी लैंडमाइन की चपेट में आ गए थे जिसके बाद इनमें से कुछ ने अपने पैर खो दिए, तो कुछ बुरी तरह घायल हो गए. इन हाथियों की स्थिति बहुत खराब हो सकती थी लेकिन ये भाग्यशाली रहे क्योंकि इनके लिए एक ऑस्ट्रेलियाई पशु चिकित्सक डॉ क्लोइ बाइटिंग फरिश्ता बन कर सामने आ गई. जंगल डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध डॉ क्लोइ थाईलैंड में हर तरह के जानवरों का इलाज करती हैं लेकिन उन्होंने जिस तरह से इन हाथियों को नया जीवन दिया उससे दुनिया इनकी तरफ आकर्षित हुई जिसके बाद इन्हें एक विशेष पहचान मिली.
हाथियों को दिए कृत्रिम पैर
चियांग माई में लगभग तीन साल पहले डॉ क्लोइ की उन लोगों से दोस्ती हुई जो 1993 से एशियाई हाथियों के एक समूह की देखरेख कर रहे थे. यहीं से ये इन हाथियों के संपर्क में आईं. डॉ क्लोइ ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया जिसमें एक हाथी कृत्रिम पैरों की सहायता से चल रहा था. इसके साथ ही क्लोइ ने बताया कि कैसे एफएई (FAE)) हाथियों के लिए बनाए गए दुनिया के पहले अस्पताल को चला रही है. उन्होंने अपने वीडियो में बताया कि पास में ही एक प्रोस्थेटिक्स का कारखाना है, और वहां ऐसे लोगों की एक बेहतरीन टीम है जो लैंडमाइन में घायल हुए हाथियों के लिए कृत्रिम पैर डिजाइन करते हैं, उन्हें बनाते हैं तथा उन्हें हाथियों के पैर की जगह पर फिट करते हैं.
ऐसे पहनाया जाता है हाथियों को कृत्रिम पैर
डॉ क्लोइ ने यह भी बताया कि हाथी हर समय इस कृत्रिम पैर को पहने नहीं रहते. वे इसे केवल दिन के समय पहनते हैं जब उन्हें चलने की जरूरत होती है तथा रात में सोने से पहले इसे निकाल दिया जाता है. उन्होंने बताया कि इस कृत्रिम पैर को पहनाने से पहले इस पर खूब सारा टैल्कम पाउडर लगाया जाता है. इसके बाद इसे हाथी के शरीर पर सही तरह से फिट किया जाता है और रैचेट सिस्टम की मदद से जरूरत के अनुसार टाइट किया जाता है. डॉ क्लोइ के इस काम की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है. उन्होंने अफ्रीका में भी जानवरों का इलाज किया है.