New Pandemic News: 5 लाख साल से सोए वायरसों को जगा रहा रूस, वैज्ञानिकों को सताने लगा नई महामारी का डर

रूस के वैज्ञानिक 5 लाख साल से निष्क्रिय पड़े वायरसों को जिंदा कर रहे हैं। इन वायरसों पर साइबेरियाई शहर नोवोसिबिर्स्क में एक पूर्व बायोवेपन्स लैब में अध्ययन किया जा रहा है। इस लैब में दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक वायरस रखे हुए हैं। ऐसे में पश्चिमी वैज्ञानिकों को नई महामारी का डर सता रहा है।

russian Lab

मॉस्को: रूसी वैज्ञानिक साइबेरियाई शहर नोवोसिबिर्स्क में एक पूर्व बायोवेपन्स लैब में प्राचीन वायरसों को जिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं। ये वायरस करीब 5 लाख साल से निष्क्रिय पड़े हुए हैं। वेक्टर स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक हिम युग के जीवों जैसे मैमथ और प्राचीन गैंडों के संरक्षित शवों की जांच कर रहे हैं। इसका उद्देश्य इन जीवों की मौत का कारण बनने वाले संक्रमणों की खोज करना और उसका अध्ययन करना है। निष्क्रिय वायरस वाले मृत जानवरों का अध्ययन करना जोखिम भरा माना जाता है, क्योंकि इससे पुरानी बीमारी जीवित प्राणियों में फैल सकती है।
4 से 5 लाख साल पुराने हैं ये वायरस
यूनिवर्सिटी ऑफ ऐक्स-मार्सिले में नेशनल सेंटर ऑफ साइंटिफिक रिसर्च के प्रोफेसर जीन-माइकल क्लेवेरी ने द टाइम्स को बताया कि रूस का वेक्टर रिसर्च सेंटर बहुत जोखिम भरा है। हमारे इम्यून सिस्टम ने कभी भी ऐसे वायरस का सामना नहीं किया है। इनमें से कुछ तो दो लाख से चार लाख साल पुराने हो सकते हैं। मैं बहुत आश्वस्त नहीं हो सकता कि सब कुछ अप टू डेट है।

रूस के इल लैब में खतरनाक वायरसों का भंडार
सितंबर 2019 में रूस के इस लैब में एक गैस विस्फोट हुआ था। इस लैब में बुबोनिक प्लेग, एंथ्रेक्स और इबोला सहित बेहद खतरनाक बीमारियों के वायरस रखे हुए हैं। इस विस्फोट से लैब का एक कर्मचारी बुरी तरह झुलस गया था। 2004 में इस लैब में हुई एक गलती से एक वैज्ञानिक की मौत हो गई थी। उस वैज्ञानिक ने गलती से इबोला वायरस से भरी एक सुई चुभो ली थी। यह लैब दुनिया के उन दो स्थानों में से एक है, जहां घातक चेचक के वायरस का भंडार है।

रूस का दावा- सुरक्षित है यह लैब
रूस का यह लैब हमेशा दावा करता है कि इसे सुरक्षित रूप से ऑपरेट किया जा रहा है। लेकिन, पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों और रूसी वैज्ञानिकों के बीच कम्यूनिकेशन बंद हो चुका है। इसके बाद कई पश्चिमी वैज्ञानिकों का मानना है कि यह लैब लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक संभावित जोखिम बन सकता है।

एक्सपर्ट बोले- हो सकती है दुर्घटना
लंदन के किंग्स कॉलेज के बॉयो सिक्योरिटी एक्सपर्ट फिलिपा लेंट्जोस ने चेतावनी दी कि सबसे सुरक्षित प्रयोगशालाओं में भी सेंध लगाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग विश्लेषण कर रहे हैं वे आश्वत नहीं हैं कि इसका कोई लाभ होगा। वर्तमान में इसके जोखिम ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। यहां तक कि आम तौर पर सभी सावधानियां बरतने के बाद भी दुर्घटनाएं अभी भी हो सकती हैं।

-55 डिग्री के तापमान में दबे मिले थे ये वायरस
वेक्टर में अध्ययन किए गए जानवरों को याकुटिया के क्षेत्र में खोजा गया, जहां तापमान -55 डिग्री से भी कम हो सकता है। यह वही साइट है जहां हाल ही में फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने एक दर्जन से अधिक प्रागैतिहासिक विषाणुओं की पहचान की थी। ऐसे ही एक वायरस को पैंडोरावायरस येडोमा कहा जाता है, जो पर्माफ्रॉस्ट-संरक्षित मैमथ, ऊनी गैंडों और प्रागैतिहासिक घोड़ों के शरीर में उत्पन्न हुआ था। यह पहली बार नहीं है जब वैज्ञानिकों ने ठंढे पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर प्राचीन वायरसों की खोज की है।