माताओं की जंक फूड की लत से गर्भ में कुपोषित हो रहे नवजात

महिला और बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में तीन साल तक के 75 लड़के और 71 लड़कियां, जबकि तीन से पांच साल तक के 61 लड़के और 72 लड़कियां मध्यम कुपोषित हैं। कुल 288 बच्चे मध्यम कुपोषित हैं। गर्भावस्था के दौरान पोषक आहार की जगह जंक फूड खाने वाली गर्भवती महिलाओं की सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है। ऐसी महिलाओं के शिशु कुपोषित पाए जा रहे हैं। हमीरपुर जिले में वर्तमान में 359 नौनिहाल कुपोषित हैं। जिनमें से 288 मध्यम कुपोषित और 71 बच्चे गंभीर कुपोषित हैं। बच्चों में कुपोषण के पाए जाने का सबसे बड़ा कारण वर्तमान जीवनशैली और गर्भावस्था के दौरान माता का खान पान बताया जा रहा है। महिला और बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में तीन साल तक के 75 लड़के और 71 लड़कियां, जबकि तीन से पांच साल तक के 61 लड़के और 72 लड़कियां मध्यम कुपोषित हैं। कुल 288 बच्चे मध्यम कुपोषित हैं। वहीं शून्य से तीन साल तक के 16 लड़के और 22 लड़कियां, जबकि तीन से पांच साल तक के 14 लड़के और 31 लड़कियां गंभीर कुपोषित हैं। 

महिला और बाल विकास विभाग बच्चों को पोषण अभियान में आंगनबाड़ी के माध्यम से पोषक आहार उपलब्ध करवा रहा है। बावजूद ज्ञान में कमी और बदली जीवनशैली, खानपान के चलते बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस एचसी शर्मा ने कहा कि जिले में 359 बच्चों में कुपोषण पाया गया है। इनका विशेष उपचार किया जा रहा है। उधर, मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के शिशु रोष विशेषज्ञ डॉ. आशीष का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती का पोषक तत्वों की बजाय अधिक जंक फूड का सेवन बच्चों को कुपोषित कर रहा है। इसके अलावा अधिक बच्चे होने के चलते बच्चों का उचित ध्यान न रखा जाना, बच्चों के आहार के प्रति ज्ञान न होना, छह माह के बाद मां के दूध के बाद बच्चों को उचित पोषक आहार न दे पाना, बच्चों को जंक फूड का सेवन करवाना कुपोषण के कारण हैं। पोषक आहार की बजाय अधिक जंक फूड खाने से बच्चे कुपोषित हो रहे हैं। वर्तमान समय में माता-पिता बच्चों को उचित ध्यान भी नहीं दे पा रहे हैं।