चंडीगढ़. पंजाब सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा लगाए गए 2180 करोड़ रुपये के जुर्माने को एक साथ भरने से हाथ खड़े कर दिए हैं. यह जुर्माना पंजाब को तरल कचरे के निपटान में सक्षम नहीं होने के लिए पर्यावरण मुआवजे के रूप में लगाया गया था. सूत्रों का कहना है कि सरकार मामले को फिर से एनजीटी के पास ले जाने और कुल राशि का एक तिहाई भुगतान करने की तैयारी कर रही है. शेष राशि का भुगतान करने के लिए सरकार एनजीटी से छह माह का समय मांगेगी.
24 सितंबर को एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कहते हुए जुर्माना लगाया था कि सुधारात्मक कार्रवाई के लिए अनिश्चित काल तक इंतजार नहीं किया जा सकता है और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को लंबे समय तक नहीं टाला जा सकता है. ट्रिब्यूनल ने 2180 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसमें से 100 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने जमा करवा दिया था. न्यायाधिकरण ने राज्य सरकार को 2080 करोड़ रुपये जमा करने के लिए दो महीने की समय सीमा दी थी. एक महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन वित्त विभाग ने कहा है कि उसके पास भुगतान करने के लिए इतनी राशि नहीं है.
750 करोड़ देने को तैयार है सरकार
एक रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ ने हाल ही में संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक बुलाकर रास्ता निकाला. अधिकारियों ने उन्हें बताया था कि एनजीटी ने न केवल पंजाब बल्कि कई अन्य राज्यों पर भी भारी जुर्माना लगाया था.सरकार ने अन्य राज्यों के बारे में जांच की और पाया कि कई राज्य केवल एक तिहाई राशि का भुगतान कर रहे थे. जिसके बाद सरकार ने अभी वित्त विभाग से 750 करोड़ रुपये की मांग करने का निर्णय लिया है. इससे पहले एनजीटी ने राजस्थान सरकार को ठोस और तरल कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 3,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था. जबकि उसने यूपी पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.