नई दिल्ली. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि केंद्र सरकार की योजना दिल्ली और मुंबई के बीच एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की है. इस हाइवे पर सरकार का इरादा इलेक्ट्रिक ट्रॉली बस और ट्रक के साथ अन्य ईवी को चलाने का है. गडकरी ने 11 जुलाई को हाइड्रॉलिक ट्रेलर ओनर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी है.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले संसदीय सत्र में भी गडकरी ने कहा था कि सरकार 1,300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi Mumbai Expressway) पर एक अलग “ई-हाईवे” (e-highway) बनाने की कोशिश कर रही है, जहां ट्रक और बस 120 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगे. दिल्ली-मुंबई के अलावा केंद्रीय परिवहन मंत्रालय दिल्ली और जयपुर के बीच भी इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है. दिल्ली-जयपुर हाईवे संभवत: देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे होगा.
क्या होता है इलेक्ट्रिक हाईवे?
यह एक ऐसा हाईवे होता है जिस पर सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलते हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन के लिए जरूरी सभी सुविधाएं इस पर उपलब्ध कराई जाती हैं. ट्रक और बस जैसे भारी वाहनों को बिजली से चलाने के लिए इन हाईवे के ऊपर इलेक्ट्रिक वायर लगाए जाते हैं. ये कुछ ट्रेन चलाने के लिए यूज होने वाले इलेक्ट्रिक वायर की तरह ही होते हैं. इसी तरह हाईवे पर भी इलेक्ट्रिक वायर लगाए जाते हैं. इससे हाईवे पर चलने वाले व्हीकल को इलेक्ट्रिसिटी मिलेगी. इसके अलावा इन पर अन्य इलेक्ट्रिक वाहन जैसे कार, स्कूटर आदि के लिए भी चार्जिंग स्टेशन सहित समुचित सुविधाओं का विकास किया जाएगा. कुल मिलाकर इन इलेक्ट्रिक हाईवे को इलेक्ट्रिक व्हीकल के हिसाब से तैयार किया जाता है.
ट्रॉलीबस के साथ ट्रॉली-ट्रक भी चलेंगे
नितिन गडकरी ने पिछले साल भी बताया था कि दिल्ली और जयपुर इलेक्ट्रिक हाईवे तैयार किया जाएगा. इसकी लंबाई 200 किलोमीटर होगी. इस हाईवे को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के साथ ही एक नई लेन पर बनाने की योजना है. इलेक्ट्रिक हाईवे प्रोजेक्ट पर स्वीडन की कंपनी काम कर रही है. इस इलेक्ट्रिक हाईवे पर ट्रॉली-बस के साथ ट्रॉली-ट्रक भी चलाए जाएंगे. ट्रॉली-बस और ट्रॉली-ट्रक को ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर से पावर मिलती है.
ये होंगे फायदे
इलेक्ट्रिक हाईवे से सबसे ज्यादा फायदा माल ढुलाई में होगा. इलेक्ट्रिक वाहनों से माल ढुलाई करने पर लॉजिस्टिक कॉस्ट में 70% की कमी आ सकती है. इसका असर वस्तुओं की कीमतों पर भी होगा. ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट कम होगी तो जाहिर है चीजें भी सस्ती होंगी. ई-हाईवे ईको फ्रेंडली हाईवे होते हैं. पेट्रोल और डीजल के मुकाबले बिजली से वाहन चलाना न केवल सस्ता है, बल्कि इनसे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता.