Bihar Politics: 2024 में विपक्षी के दलों को एक करने की कवायद में जुटे केसीआर ने बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। हालांकि 2024 में प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर विपक्ष का चेहरा कौन होगा इसका खुलासा तो केसीआर ने नहीं किया। लेकिन गुरुवार को जेडीयू की ओर से यह संकेत जरूर दे दिए गए की नीतीश कुमार ही विपक्ष का चेहरा होंगे। इसके बाद से बीजेपी की ओर से नीतीश पर हमला तेज कर दिया गया है।
नीलकमल, पटना: जेडीयू की ओर से 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के लिए नीतीश कुमार की भूमिका तय कर दी गई है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के पटना से जाने के बाद जेडीयू की ओर से शहर में सीएम नीतीश (KCR Met Nitish Kumar) की तस्वीर के साथ पांच पोस्टर लगाए गए हैं। जिसमें सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर निशाना साधने की कोशिश की गई है। ये भी कह सकते हैं जेडीयू ने अनऑफिशियल तरीके से नीतीश कुमार को 2024 के लिए प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। आप को यह भी बता दें कि शुक्रवार यानी 2 सितंबर से 5 सितंबर तक पटना में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई है। जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किए जाने के बाद बीजेपी का हमला और भी तेज हो गया है।
बिहार में उठक-बैठक और छक्का-पंजा की हो रही राजनीति
बीजेपी के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार में उठक-बैठक की राजनीति शुरू हो चुकी है जिसे लोगों ने टीवी पर खुलेआम देखा। उन्होंने कहा कि उनके गांव में एक कहावत है- छक्का पंजा की चाल। बुधवार को बिहार में छक्के पंजे की चाल खेली गई। गिरिराज सिंह ने कहा कि जब नीतीश कुमार बीजेपी से संबंध तोड़ चुके थे तब उनके पास के. चंद्रशेखर राव (KCR) का फोन आया था। लेकिन नीतीश कुमार को यह नहीं पता था कि केसीआर तो खुद को ही 2024 के लिए प्रधानमंत्री का उम्मीदवार मानते हैं। यही वजह है कि बुधवार को सीएम नीतीश के सामने बैठकर केसीआर ने उन्हें सरेआम बेइज्जत कर यह जता दिया कि प्रधानमंत्री का उम्मीदवार नीतीश कुमार नहीं बल्कि वे खुद हैं।
2024 में थर्ड फ्रंट नहीं बल्कि देश फ्रंट चलेगा
गिरिराज सिंह ने कहा कि देश में थर्ड फ्रंट नहीं बल्कि देशभक्त फ्रंट चलेगा और नरेंद्र मोदी पर देश की जनता विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि जो तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं वह भला देश को एकजुट कैसे रख सकते हैं। केसीआर जो आंदोलन चला रहे हैं इसका नाम है सर तन से जुदा और नीतीश कुमार पीएफआई के नेटवर्क को बचाने में लगे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है शरीया कानून के तहत 500 स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी। गिरिराज सिंह ने कहा कि केसीआर और नीतीश कुमार बाहर में तो यह कहते हैं बीजेपी मुक्त भारत बनाएंगे। लेकिन बंद कमरे में दोनों का स्लोगन है तुष्टिकरण की राजनीति करो, सर तन से जुदा करो, पीएफआई और शरीया युक्त भारत हो और हिन्दू मुक्त भारत हो।
नीतीश को कुर्सी से उठाकर अपनी ब्रान्डिंग कर गए केसीआर
पूर्व विधायक और बिहार बीजेपी प्रवक्ता मनोज शर्मा ने नीतीश केसीआर मुलाकात पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के सीएम ने नीतीश कुमार के सामने अपने राज्य में किए गए कार्यों का बखान कर आईना दिखा दिया। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को बार-बार यह एहसास कराया कि उन्होंने अपने तेलंगाना राज्य में विकास का काफी काम किया है। वह यह बताना चाहते थे कि पिछले 17 साल में नीतीश कुमार और उसके पहले के 15 साल में तेजस्वी यादव के माता-पिता यानी राबड़ी देवी और लालू यादव के शासनकाल विकास का कोई काम नहीं हुआ। मनोज शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव बिहार आकर तेलंगाना मॉडल की तारीफ कर अपनी मार्केटिंग रहे थे। वहीं बिहार के सीएम के साथ डिप्टी सीएम उनकी बात को ध्यान पूर्वक सुन रहे थे।
केसीआर ने नीतीश और तेजस्वी को दिखाया आईना
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव ने सीएम नीतीश कुमार को एक तरह से आईना दिखाया। बार-बार केसीआर ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को एहसास दिलाया कि बहुत कम समय में तेलंगाना का उन्होंने काफी विकास किया है। उस मुताबिक बिहार का विकास नहीं हो पाया है, जबकि पिछले 17 सालों से नीतीश कुमार और उससे पहले 15 सालों तक तेजस्वी यादव के परिवार का राज सूबे में रहा है। पटना में केसीआर अपनी मार्केटिंग करने में मशगूल थे।
केसीआर-नीतीश का मंच बना मनोरंजन का केंद्र
मनोज शर्मा ने कहा कि जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केसीआर की बात बर्दाश्त नहीं हुई तो बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठ गए। उनके साथ तेजस्वी यादव भी अपनी जगह से उठकर खड़े गए। तब केसीआर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार ने प्रोटोकॉल का भी लिहाज नहीं किया। दोनों नेता एक दूसरे को उठाने और बैठाने में लगे रहे। पूरे मंच को मनोरंजन का केंद्र बना दिया। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि तीसरे मोर्चे के नाम पर इकट्ठे हो रहे ये लोग अपनी ही महत्वकांक्षा के लिए सिरफुटव्वल करने वाले हैं। केसीआर, नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार मानने को तैयार नहीं है। इसके अलावा अखिलेश यादव, ममता बनर्जी भी नीतीश कुमार के नाम पर क्यों तैयार होंगी? वजह साफ है कि पीएम बनने की महत्वकांक्षा में सभी एकजुट तो हुए हैं लेकिन, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा सभी अलग हो जाएंगे। इसमें नीतीश कुमार का हश्र बुरा होने वाला है।
गंभीर नेता से हास्य कलाकार बने नीतीश
बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि एक समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीति में सुचिता के लिए जाने जाते थे। अब वो एक हास्य कलाकार तौर पर देखे जा रहे हैं। इसके अलावा जिस तरह वो अपनी फितरत के विपरीत काम कर रहे हैं, ये उन्हें राजनीति में दिन-प्रतिदिन हल्का कर रहा है। कभी भारत की राजनीति में नीतीश कुमार गंभीर नेताओं में गिने जाते थे लेकिन, जिस तरह से वे अपने आप को बर्बाद कर रहे हैं। उससे साफ हो गया कि अब वह गंभीर राजनेता के तौर पर नहीं एक हास्य कलाकार के तौर पर देखे जाएंगे। केसीआर के साथ मंच साझा करते हुए ऐसे ही लगा जैसे दो हास्य कलाकार मंच पर मौजूद हों।