बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में धर्मांतरण विरोधी क़ानून की कोई ज़रूरत नहीं है. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में सौहार्द और शांति है. ऐसे में धर्मांतरण विरोधी क़ानून की कोई ज़रूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि बिहार में सभी धर्मों और समुदाय के लोग शांति से रहते हैं, ऐसे में इस क़ानून की कोई ज़रूरत नहीं है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह बयान एक सवाल के जवाब में दिया.
दरअसल, एक पत्रकार ने सीएम से सवाल किया था कि कुछ रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि राज्य के हिंदू प्रलोभन में आकर अपना धर्म बदल रहे हैं.
इस सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा, “बिहार सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह से सतर्क है. यहां राज्य में समुदायों के बीच कोई विवाद नहीं है. सभी धर्मों के लोग शांति और सौहार्द से रह रहे हैं. यहाँ कोई समस्या नहीं है. हम अपने दायित्व को पूरी कुशलता के साथ निभा रहे हैं. इसलिए इस तरह के किसी भी क़दम को उठाने की कोई ज़रूरत नहीं है. हम सतर्क हैं और हम ये सुनिश्चित करते हैं कि राज्य में कोई सांप्रदायिक तनाव ना पनपे. ”
नीतीश कुमार का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले गठबंधन पार्टी बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह ने धर्मांतरण विरोधी कड़े कानून की मांग उठाई थी. उनके अलावा कई बीजेपी नेता भी हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल की तरह इस क़ानून को बनाने की मांग कर चुके हैं.
हालांकि यह पहला मौक़ा नहीं है जब बीजेपी और जदयू के विचारों में एकरूपता नहीं है.
नीतीश कुमार के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि बिहार सरकार भारत के संविधान को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.