मां जैसा कोई नहीं: फोन नहीं उठा तो होने लगी चिंता, फिर अपनी सतर्कता से मां ने बचाई बेटे की जान

एक मां को अपने बच्चे की तब भी फिक्र रहती है, जब वो उसकी आंखों के सामने नहीं रहता. मां अपने बच्चे की हर बात पर ध्यान देती है. भले ही बच्चे कितने भी बड़े हो जाएं मगर एक मां को उनकी हमेशा चिंता लगी रहती है. एक मां अपनी संतान के लिए कितनी फिक्रमंद हो सकती है इसका ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश के इंदौर में देखने को मिला है.

मां की सतर्कता ने बचा ली बेटे की जान

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यहां एक मां अपनी सतर्कता की वजह से अपने लाल को मुंह के मौत से बाहर खींच लाई है. यह मामला मामला मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का है. यहां के 20 वर्षीय अरविंद ने अपने कमरे में फांसी लगा ली लेकिन मां की सतर्कता की वजह से उसकी जान बच गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अरविंद किसी काम से बाहर गया था. उसके घर लौटने पर उसकी मां उर्मिला ने उसे खाना खिलाने के बाद चाय दी. चाय पीने के बाद अरविंद अपने कमरे में चला गया. मां उर्मिला को यहां तक सब सामान्य लगा लेकिन मोबाइल फोन की घंटी ने उन्हें सतर्क किया.

फोन नहीं उठा तो होने लगी चिंता

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दरअसल, अरविंद के अपने कमरे में जाने के कुछ देर बाद उसके मोबाइल फोन की रिंग बजने लगी. काफी देर तक मोबाइल रिंग करता रहा लेकिन अरविंद उसे उठाया नहीं रहा था. ये बहुत छोटी बात हो सकती है लेकिन उर्मिला ने इस पर ध्यान दिया और सतर्क हो गई. बेटे को फोन न उठाता देख मां उसके कमरे का दरवाजा खोलने लगी लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था. इसके बाद जब उर्मिला ने खिड़की से झांककर देखा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. उनका बेटा फंदे पर लटका हुआ था. उन्होंने तुरंत ही शोर मचाना शुरू किया, जिसके बाद पड़ोसी वहां जमा हो गए और सबने मिलकर दरवाजा तोड़ते हुए अरविंद को फंदे से उतारा.

गले की दब गई नस

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इसके बाद अरविंद को इलाज के लिए एमवाय अस्पताल ले जाया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साड़ी का फंदा कसने की वजह से उसके गले की नस दब गई थी. इसलिए उसे वहां से बांबे अस्पताल रेफर किया गया. फिलहाल अरविंद कुछ बताने की स्थिति में नहीं है और उसका मोबाइल भी लॉक है. जिस वजह से उस वक्त किसका फोन आ रहा था, इस बात का खुलासा अभी नहीं हो सका है. पुलिस के अनुसार युवक के मोबाइल की जांच के बाद ही कारण सामने आ सकता है.

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3. Sanjivini Society For Mental Health
+911124311918