Noida Delivery Boy Accident: होली के दिन नोएडा में दो अलग-अलग घटनाओं में दो डिलीवरी बॉय दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए। दोनों की ही मौत हो गई। इनमें से एक यूपी के बदायूं का रहने वाला था दूसरा गाजीपुर का। इस हादसे में एक आरोपी को पुलिस ने अरेस्ट किया है, दूसरी घटना में शामिल वाहन का कोई सुराग नहीं है।
तेजी से बाइक दौड़ाते दो पहिया सवार लोगों को जब हम देखते हैं, तो मन में सवाल उठता है, इतनी जल्दी क्या है भाई? लेकिन दरअसल यह सवाल हमें खुद से पूछना चाहिए, उन डिलिवरी कंपनियों से पूछना चाहिए जो 10 मिनट में हमारी जरूरतें पूरी करने का दावा करती हैं।
इन्हीं 10 मिनटों के लिए ये डिलिवरी बॉय अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं। बदले में उन्हें मिलती है संतुष्ट कस्टमर की 5 स्टार रेटिंग। इसी रेटिंग पर उनका बोनस टिका होता है। रेटिंग खराब, बोनस गया।
ये डिलिवरी बॉय जिंदगी के किनारे को दांत से पकडे़ किसी तरह लटके हुए रहते हैं। जिस दो पहिया के सहारे वे डिलिवरी करते हैं, जिस स्मार्टफोन के सहारे वे ऑर्डर रिसीव करते हैं… ये दोनों उनकी लाइफ लाइन हैं। एक भी हादसा हुआ तो इन्हें अपने चोटिल शरीर से पहले इनकी फिक्र हो जाती है।
अपनी चटकी हड्डियों पर हाथ फेरने से पहले देखते हैं बाइक तो ठीक है न, फोन तो नहीं टूटा? एक चोट इन्हें और इन पर निर्भर असंख्य सपनों को गहरे, अंधियारे गर्त में धकेल देती है। पर हमें इससे क्या, हमें हर चीज दस मिनट में चाहिए। सुपर फास्ट स्पीड चाहे इंटरनेट हो या फूड सर्विस… बस बिजली की तेजी से चाहिए वरना… वरना हम दूसरी कंपनी से ऑर्डर मंगा लेंगे।
ये कंपनियां भी कंप्टीशन के चक्कर में दावे पर दावे करती हैं और इन दावों को सच साबित करने वाले हर रोज जान हथेली पर लेकर घूमते हैं। पिछले साल सांसद महुआ मोइत्रा ने ऐसे डिलिवरी करने वालों के जोखिम पर सवाल उठाते हुए संसद में अपील की कि कंपनियों के इस तरह के दावों को रोकने के लिए कोई कानून बनाया जाए। कंपनियां भी तभी सजग होंगी जब हमारी इस ‘इंस्टेंट भूख’ पर हम काबू पाएंगे। तब तक ऐसे बंटी और दीपक अपनी जान यों ही जोखिम में डालते रहेंगे।