Wheelchair Basketball: जिंदगी में कितनी बड़ी मुसीबत भी क्यों न आ जाए, अगर आप में कुछ कर दिखाने की चाहत है तो वो सपना जरूर पूरा होगा। अपने पैर गवाने के बाद भी वीलचेयर बास्केट खेल ये बच्चे दुनिया में नाम कमा रहे है। ये बच्चे कई देशों में अपना प्रदर्शन दिखा चुके हैं। साथ ही इंडिया इंटरनेशनल वीलचेयर बास्केटबॉल टूर्नामेंट शानदार प्रदर्शन किया है।
ग्रेटर नोएडा: कहते है ना मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। ऐसा ही कुछ कर रहे हैं, नोएडा के इंडोर स्टेडियम में वीलचेयर बास्केट खिलाड़ी। दरअसल आज हम बात कर रहे हैं, नोएडा के इंडोर स्टेडियम में तैयारी करने वाले दिव्यांग बच्चों की, ये बच्चे नेपाल, लेबनान और थाईलैंड में भारत का नाम रोशन कर चुके हैं। रविवार को नोएडा इंडोर स्टेडियम में सिल्वर मेडल जीतने के बाद दिव्यांग टीम का जोरदार स्वागत हुआ। ग्रेटर नोएडा में हुए इंडिया इंटरनेशनल वीलचेयर बास्केटबॉल टूर्नामेंट में रेखा शर्मा, फहीम खान और अलीशा खान ने सिल्वर मेडल जीता है। फहीम ने फिलिस्तीन के खिलाड़ियों के साथ अपनी किस्मत आजमाई और सेकेंड पोजीशन पाई। वही रेखा शर्मा और अलीशा खान ने कंबोडिया के साथ व्हीलचेयर वीलचेयर खेला, जिसमें दोनों ने सेकेंड पोजीशन पाई और सिल्वर मेडल जीता है। जीतने के बाद अलीशा खान, रेखा शर्मा और फहीम खान अपने घर पहुंचे परिवार ने जोरदार स्वागत किया।
दिव्यांग खिलाड़ियों के कोच वरुण बताते हैं कि उन्होंने इस शुरुआत को केवल एक बच्चे से शुरू किया था और अब आठ दिव्यांग खिलाड़ी उनके साथ खेलते हैं। वह उन्हें परिवार की तरह प्यार करते हैं। इसमें अलीशा खान, फहीम खान, रेखा शर्मा, ऋषभ और रिंकल आदि मौजूद हैं। ग्रेटर नोएडा में कंबोडिया और फिलिस्तीन के साथ खेलने पर सेकेंड पोजीशन आने पर स्टेडियम में जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर स्टेडियम के अन्य खिलाड़ियों ने भी तालियां बजाकर हौसला अफजाई की। कोच वरुण कुमार बताते हैं, उन्होंने शुरुआत में सभी दिव्यांग बच्चों से वादा किया था कि वह हफ्ते में केवल 2 दिन उन्हें सिखाने के लिए देंगे। यह शुरुआत वर्ष 2015 से शुरू हुई थी और धीरे-धीरे तब यह छोटे बच्चे थे और अब बड़े हो गए हैं। अब यही दिव्यांग बच्चे अपने मां बाप और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। नेपाल, थाईलैंड और लेबनान में खेल चुके हैं। कोच वरुण बताते हैं कि अलीशा और रेखा शर्मा का परिवार काफी गरीब है। अलीशा और रेखा शर्मा को परिवार से ज्यादा सहयोग नहीं मिलता है।
गरीबी और लाचारी को भी हराया
अलीशा खान भी दिव्यांग है। अलीशा ने भी सिल्वर मेडल जीता है और अलीशा को शुरुआत में परिवार से सहयोग नहीं मिला। अलीशा खान अपने नानी के घर पर बड़ी हुई। अब अलीशा को सरकार की तरफ से ढाई हजार पेंशन मिलती है, जिसमें वह अपना खर्चा भी चला रहे हैं। अलीशा कहती हैं कि शुरुआत में मुझसे अक्सर बच्चे दोस्ती नहीं करते थे। लेकिन आज जब मैं बेहतर कर रही हूं तो आज मेरे काफी दोस्त हैं। अलीशा की पढ़ाई जारी है। अलीशा एक अच्छी टीचर बनना चाहती है। रेखा शर्मा में काफी हौसला है। रेखा शर्मा कई बार घबराई, लोगों ने तरह-तरह की बातें कही। लेकिन रेखा शर्मा अपनी मंजिल को देखती रही। थाईलैंड में दो बार खेल चुकी हैं और यह सपना अब उनका पूरा होता नजर आ रहा है। ग्रेटर नोएडा में कंबोडिया से सिल्वर मेडल जीता है। रेखा अब गोल्ड मेडल लाना चाहती है। परिवार वालों ने भी रेखा शर्मा का फूल मालाओं से स्वागत किया। रेखा शर्मा भी नॉर्मल फैमिली से आती हैं। सरकार अभी रेखा शर्मा को ढाई हजार पेंशन दे रही है।
इंडिया वीलचेयर बास्केटबॉल में बच्चों का चयन
फहीम अभी तक लेबनान, थाईलैंड और नेपाल में खेल चुके हैं। शानदार प्रदर्शन कर रहे है। मोहम्मद फहीम अपने साथियों का हौसला बढ़ाने में कभी पीछे नहीं रहते, मोहम्मद फहीम ने भी फिलिस्तीन से वीलचेयर बास्केटबॉल में सेकेंड पोजीशन लाकर सिल्वर मेडल जीता है। रविवार को नोएडा के इनडोर स्टेडियम में मोहम्मद फहीम, रेखा शर्मा, अलीशा खान व उनके साथी निखिल और ऋषभ का फूल मालाओं से स्वागत हुआ। इस मौके पर इंडोर स्टेडियम के इंचार्ज अमित कुमार भी मौजूद रहे। अमित कुमार ने कहा कि जब जिस तरह की जरूरत होती है, हम हमेशा इन बच्चों के साथ खड़े रहते हैं। परिवार की तरह हम सभी को रखते हैं। साथ ही अमित कुमार कहते हैं कि आने वाला समय बहुत बेहतर होगा लगातार मेहनत कर रहे हैं। नोएडा इंडोर स्टेडियम के बच्चों ने देश विदेश में खूब नाम कमाया है। अब कई बच्चों का सलेक्शन इंडिया व्हीलचेयर बास्केटबॉल में भी हो गया है। इसको लेकर कोच और समिति के सदस्यों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।