गृहमंत्री अमित शाह के बाद आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने अपनी रणनीति बदली है। आयुक्त संजय अरोड़ा ने केन्द्रीय गृहमंत्री के पुलिस मुख्यालय के दौरे के बाद मंगलवार शाम इस बाबत एक स्टेंडिंग ऑर्डर जारी किया है।
अब दिल्ली में अपराधी सजा से नहीं बच सकेंगे। दिल्ली पुलिस वैज्ञानिक तौर तरीके अपनाते हुए घटनास्थल से फोरेंसिक सबूत एकत्रित करेगी। ऐसे में गवाहों के पलटने से भी केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बाद आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने अपनी रणनीति बदली है। आयुक्त संजय अरोड़ा ने केन्द्रीय गृहमंत्री के पुलिस मुख्यालय के दौरे के बाद मंगलवार शाम इस बाबत एक स्टेंडिंग ऑर्डर जारी किया है।
इस आदेश के अनुसार, दिल्ली के हर जिले में एक-एक फोरेंसिक मोबाइल वैन तैनात की जाएंगी। यह वैन पूरी तरह से वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगी। प्रत्येक वैन में पर्याप्त संख्या में फोरेंसिक सहायकों का विवरण होगा। ये वैन उन घटनास्थलों पर जाएंगी, जहां मामला दर्ज होना है और जिसमें सजा छह वर्ष से अधिक है। आदेश में कहा गया है कि वैन दिल्ली पुलिस के प्रशासनिक नियंत्रण में नहीं, बल्कि अदालत के लिए जिम्मेदार एक स्वतंत्र इकाई के नियंत्रण में होगी।
आदेश में बताया गया है कि जब भी किसी घटना की सूचना दी जाती है और जांच अधिकारी को ऐसा लगता है कि मामला छह वर्ष से अधिक की सजा का दर्ज होने की संभावना है या फिर मौके से कुछ फोरेंसिक साक्ष्य उठाए जाने हैं तो वैन को मौके पर बुलाया जाएगा। इसके लिए जांच अधिकारी वैन से औपचारिक अनुरोध करेगा।
प्रभारी घटनास्थल का निरीक्षण करेंगे और साक्ष्य उठाएंगे। वह पैकिंग और लेबलिंग सहित अपनी टीम की मदद से सभी सबूतों का सही तरीके से दस्तावेजीकरण करेगा। यदि फोरेंसिक वैन आगे की जांच और विश्लेषण के लिए सभी नमूनों को अपने साथ ले जा रही है तो जांच अधिकारी अपने बयान दर्ज करेगा और केस डायरी में उसका उल्लेख करेगा।