अब पृथ्वी से ही खोजा जा सकेगा डार्क मैटर, नई तकनीक से जागी उम्मीद

अभी तक डार्क मैटर (Dark Mattter) के अस्तित्व की ही प्रमाणिक तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

अभी तक डार्क मैटर (Dark Mattter) के अस्तित्व की ही प्रमाणिक तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है

अगर आप किसी वैज्ञानिक से पूछेंगे कि क्या डार्क मैटर का अस्तित्व (Existence of Dark) है तो वे कहेंगे हां. यह कहने पर भी कि उसका अस्तित्व प्रमाणित होने सका है, इस पर वे कहेंगे ऐसा भले ही हो, लेकिन उसके कई तरह के प्रभाव हमें देखने को मिलते हैं. और कई तरह की खगोलीय परिघटनाओं की व्याख्या में डार्क मैटर का उपयोग होता है. जिनकी वैकल्पिक व्याख्याएं उतनी सटीक नहीं बैठती हैं. इसीलिए वैज्ञानिक इतनी शिद्दत से डार्क मैटर की अस्तित्व को प्रोयगिक तौर पर सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं.  इस कड़ी में खगोलविदों ने डार्क मैटर खोजने  का एक नया तरीका (Technique of Searching Dark Matter) खोजा है जिसमें पृथ्वी के रेडियो राडार तंत्र (Radar System of Earth) मददगार हो सकता है.

सामान्य पदार्थ से कई गुना ज्यादा
डार्क मैटर अदृश्य और रहस्यम कण होते हैं जिनकी सामान्य पदार्थ की तुलना में ब्रह्माण्ड में पांच गुना से भी ज्यादा मात्रा मानी जाती है और ब्रह्माण्ड के भार का 85 प्रतिशत हिस्सा होते हैं. इनका ना तो विद्युतचुंबकीय तरंगों पर प्रभाव पड़ता है और ना ही ये उनसे  प्रभावित होते हैं. इनका केवल गुरुत्व प्रभाव ही अवलोकित किया जा सका है.

खास टेलीस्कोप से अध्ययन की जरूरत
इनका खुद का भी कोई प्रकाश नहीं होता है. इसलिए वैज्ञानिक हबल स्पेस टेलीस्कोप या नासा के आने  वाले  नैन्सी ग्रेस रोमन स्पेस टेलीस्कोप के जरिए इसका गैलेक्सी या अन्य सुदूर तारामंडलों पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन करते हैं. अब इनके बारे में नए तरीके से अध्ययन करने की तकनीक ईजाद की गई है.

एक अलग ही तरीके से प्रयास
ओहियो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अगुआई में होने वाले इस अध्ययन के अनुसार पृथ्वी पर स्थित राडार तंत्र इस खोज में मददगार हो सकते हैं. इस अध्ययन के सहलेखक जॉन बेकम का कहना है कि जहां वैज्ञानिक छोटे भार में डार्क मैटर के केवल महीन कण देखते हैं, वहीं इस नए शोध कालक्ष्य डार्कमैटर पर बड़े स्तर पर खोज को बेहतर बनाना है. यानि विशाल भार वाले पिंड के कण जो परम्परागत उपकरणों की पकड़ से बाहर होते हैं.

भारी भी हो सकते हैं इसके कण
शोधकर्ताओं का कहना है कि डार्क मैटर की खोज करना इतना मुश्किल इसलिए है क्योंकि हो सकता है कि उसके कण बहुत भारी हो सकते हैं. यदि डार्क मैटर का भार कम  है तो ये कण सामान्य होंगे, लेकिन यादि भार अधिक होगा तो यह कण बहुत कम पाए जाने वाले होंगे. इन कणों को ना तो देखा जा सकता है और ना ही इन्हें छुआ जा सकता है लेकिन उनके गुरुत्व का प्रभाव तारे या ब्लैक होल जैसी दूसरी खगोलीय घटनाओं पर असर देखा जा सकता है.