अब अच्छी फिल्मों से नहीं जबरदस्त फिल्मों से बनेगी बात, ऑडियंस हो गई हैं समझदार: करण जौहर

करण जौहर जल्द ही डांस रिएलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ में एक बार फिर जज की कुर्सी पर नजर आएंगे। हाल ही उन्होंने नवभारत टाइम्स को दिए इंटरव्यू में इस शो के साथ-साथ बॉक्स ऑफिस पर पिटती फिल्मों को लेकर बात की। पढ़िए:

डांस को अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा माध्यम मानने वाले बहुआयामी प्रतिभा के धनी फिल्ममेकर करण जौहर जल्द ही फिर डांस रिएलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ में जज की कुर्सी पर नजर आएंगे। करण जौहर जहां एक बेहतरीन फिल्ममेकर हैं, वहीं कमाल के डांसर भी हैं। करण जौहर ने नवभारत टाइम्स के साथ बातचीत में न सिर्फ डांस और ‘झलक दिखला जा’ को लेकर बात की, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर पिटतीं फिल्मों पर भी रिएक्ट किया। करण जौहर ने साफ-साफ कहा कि अब ऑडियंस समझदार हो गई हैं। उन्हें अच्छी नहीं बल्कि जबरदस्त फिल्में चाहिए।

‘ऑडियंस को अब अधपकी फिल्में नहीं चाहिए’

Karan Johar ने कहा, ‘अभी बहुत सारी बातें हो रही हैं, हिंदी सिनेमा को लेकर, लेकिन मेरा मानना है कि हिंदी सिनेमा के लिए प्यार हमेशा रहने वाला है। पिक्चरें जब सही बैठ जाएंगी तो सारा बिजनेस फिर वापस आएगा। अभी बस ये है कि हमारी ऑडियंस बहुत ज्यादा समझदार हो गई है। क्या अच्छा है क्या नहीं, उसे लेकर उनकी समझ बढ़ गई है, तो अभी आप अगर उन्हें कोई अधपका प्रोडक्ट देंगे तो वे उसे कुबूल करने को तैयार नहीं हैं। आज सिर्फ अच्छे से बात नहीं बनेगी, आज वो (फिल्म) जबरदस्त होनी चाहिए। अभी कमाल से कम वाली कोई चीज ऑडियंस को रिझा नहीं कर सकती।’


बचपन से डांस कर रहे करण जौहर
करण जौहर ने डांस से अपने रिश्ते के बारे में बात की और बताया कि वह बचपन से डांस करते आ रहे हैं। करण जौहर ने बताया, ‘जब मैं बच्चा था, तब से खुद ही डांस किया करता था। खास तौर पर हिंदी फिल्मों के गाने पर नाचना मुझे बहुत अच्छा लगता था। जबकि, मेरे सर्कल में कोई भी इतनी हिंदी फिल्में नहीं देखता था पर मैं खुद अपने कमरे में डांस करता था। मेरा मानना है कि डांस ऐसे ही करना चाहिए, जैसे कोई देख नहीं रहा है।’

सिद्धार्थ रॉय कपूर की मम्मी से सीखा था बॉलरूम डांस
करण एक अर्से से ‘झलक दिखला जा’ में जज की भूमिका निभा रहे हैं, क्या कभी खुद डांस सीखने का मन नहीं किया? इस पर उन्होंने कहा, ‘ते हैं, ‘मेरे बचपन का एक बार मजेदार वाकया है। असल में फिल्ममेकर सिद्धार्थ रॉय कपूर (विद्या बालन के पति) की मां बॉलरूम डांस सिखाती थी तो मैंने कॉलेज के वक्त उनके साथ दो साल बॉलरूम डांस सीखा है। बहुत साल पहले जब मैं सिद्धार्थ से मिला तो मैंने उन्हें पूछा कि आप सलोनी रॉय कपूर के बेटे हैं! वो मुझे डांस सिखाती थीं तो मैंने डांस की फॉर्मल ट्रेनिंग इस तरह से ली है, लेकिन उससे ज्यादा कभी उस ओर ध्यान नहीं दे पाया, क्योंकि काम करना शुरू कर दिया। हालांकि, मेरा मानना है कि अगर आपके सिस्टम में लचक है और एनर्जी है तो डांस हो ही जाता है।’

शिबानी दांडेकर के निकलने पर रोया था

क्या इतने लंबे समय से एक शो जज करना नीरस या उबाऊ नहीं लगता? इस पर करण ने कहा, ‘झलक दिखला जा’ पहला रिएलिटी शो था जो मैंने जज किया था। मैंने 2012 में इसे जज करना शुरू किया था और मुझे इसके सेट पर सबसे ज्यादा मजा आया। शो पर माधुरी और रेमो के साथ मेरी जोड़ी बन गई थी और माधुरी के साथ बैठना ही बहुत मजेदार होता है। हम इतनी बातें करते थे कि शो की टीम को हमें रोकना पड़ता था। मैं अपनी बेसुरी आवाज में गाने लगता था और उन्हें सारे गानों के बोल पता होते थे, तो मुझे कभी ये काम नीरस नहीं लगा। हर एपिसोड के साथ हम एक नई एनर्जी के साथ आते हैं। कंटेंस्टेंट्स से निजी तौर पर जुड़ जाते हैं। लोगों को लगता है कि हम ऐसे ही इमोशन दिखा रहे हैं। ये हमारा काम है, पर कई बार हम पर्सनली जुड़ जाते हैं। एलिमिनेशन के दिन कभी-कभी बहुत बुरा लगता है। मैं दो-तीन बार रोया भी हूं। मुझे याद है कि पहली बार मैं तब रोया था जब शिबानी दांडेकर, जो फरहान अख्तर की वाइफ है, वो कंटेस्टेंट थी और वो बहुत जल्दी एलिमिनेट हो गई थी, तब मेरी आंखों में आंसू आ गए थे। बाद में जब मैं अपने मेकअप रूम में गया तो सोचने लगा कि मैं इतना भावुक क्यों हो रहा हूं। ये रिएलिटी शो है, मैं अपना जॉब कर रहा हूं (हंसते हैं)।’

फैशन में रणवीर सिंह का असर आ गया है
करण की फिल्मों, शोज के अलावा उनका चटख फैशन सेंस भी हमेशा चर्चा में रहता है। इस बारे में वह हंसते हुए कहते हैं, ‘मुझ पर रणवीर सिंह का असर आ गया है। रणवीर सिंह मेरी फिल्म के हीरो हैं न तो जिससे आप रोज मिलते हैं, उसका प्रभाव तो पड़ ही जाएगा न।’ वहीं, आगे कहते हैं, ‘डांस की तरह फैशन भी मेरे लिए खुद को अभिव्यक्त करने का माध्यम है। आप अगर मुझे फीके कपड़े दोगे तो मुझे अंदर से खुशी नहीं होगी। अगर मैंने सादा काला सूट पहन लिया तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए, मुझे लगता है कि कपड़ों के साथ ये होना चाहिए कि जो आपको पसंद है, जो आप पहनना चाहते हैं, वो पहनो। आप अंदर से सहज होगे तो वो बाहर भी दिखेगा। मेरा मानना है कि जब मैं घर से निकलूं, मुझे खुशी महसूस होनी चाहिए।’


मेरी मां आज भी डांटती रहती हैं
इतनी सफलता हासिल करने के बाद करण खुद को जमीन से जुड़ा कैसे रख पाते हैं? यह पूछने पर वह इसका श्रेय अपनी मां हीरू जौहर को देते हैं। बकौल करण, ‘मेरी मां मेरी ग्राउंडिंग फैक्टर हैं। कुछ माएं होती हैं, जिन्हें लगता है कि मेरा बच्चा ही सबसे अच्छा है। मेरी मां इसके उलट हैं। वह हर वक्त मुझे ग्राउंडेड रखने की कोशिश करती है। अगर कुछ बहुत अच्छा भी हो जाए तो उनका ये रहता है कि ठीक है, ये अच्छा हो गया, अब आगे की सोचो, क्योंकि आज कुछ अच्छा हुआ है, तो कल बुरा भी हो सकता है। आज मैं भले अपने दिमाग में करण जौहर हो जाऊं पर मेरी मां के लिए मैं कोई नहीं हूं। आज भी वह कहेंगी कि मेहमान आए हैं, नीचे आओ। मैं कितना भी कहूं कि मम्मा, मैं काम से आया हूं, थका हूं, वो कुछ नहीं सुनेंगी। आज भी बताएंगी कि ठीक से मुंह धोकर, कंधी करके आना (हंसते हैं)। जैसे मेरे बच्चों यश और रूही को डांट पड़ती है, वैसे ही मुझे भी पड़ती है। हम तीनों उनसे डरते हैं। यह एक चीज है जो मुझे जमीन से जोड़े रखती है कि आप चाहे जितनी ऊंचाई पर चले जाएं, अगर आज सफलता है तो कल असफलता भी देखनी पड़ सकती है और आपको दोनों के लिए तैयार रहना चाहिए।’