भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने माना है कि बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा और दिल्ली बीजेपी से जुड़े नवीन जिंदल की ओर से पैग़बंर मोहम्मद पर दी गई विवादित टिप्पणी ने भारत की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचाया है.
मंगलवार को समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अजित डोभाल ने कहा कि इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ऐसी छवि बना दी, जो हक़ीकत से कोसों दूर है.
एनएसए से पूछा गया था कि क्या पैग़ंबर विवाद पर देश भर में हुए विरोध प्रदर्शनों ने भारत की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचाया है?
इस पर उन्होंने जवाब दिया, “हाँ (इससे भारत की प्रतिष्ठा पर आँच आई है). ये इस अर्थ में कि भारत को इस तरह दिखाया गया या भारत के ख़िलाफ़ ऐसी कुछ भ्रामक जानकारियाँ फैलाई गईं, जो सच्चाई से कोसो दूर है. ज़रूरत थी कि हम उनसे बात करें उन्हें मनाएं और आप पाएंगे कि जहाँ भी हमने संबंधित पक्ष से बात की फिर वो देश में हो या देश के बाहर, हम उन्हें मनाने में कामयाब रहे. जब लोग भावनात्मक तौर पर उत्तेजित हो जाते हैं, तब उनका व्यवहार थोड़ा असंगत सा हो जाता है.”
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बीजेपी की पूर्व नेता नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित बयानबाज़ी की थी. इस बयान को लेकर मुस्लिम देशों ने भारत के सामने आधिकारिक तौर पर विरोध जताया था.
भारतीय जनता पार्टी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था और नवीन जिंदल को निष्कासित. हालाँकि, इसके बावजूद देश के अंदर भी बयान का भारी विरोध हुआ और नूपुर शर्मा की गिरफ़्तारी की माँग को लेकर अलग-अलग हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन भी हुए.
कश्मीर में टारगेट किलिंग्स पर क्या कहा
जम्मू-कश्मीर में लगातार आम नागरिकों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं पर डोभाल ने कहा कि सरकार इससे निपटने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा, “2019 के बाद से लोगों का मिजाज़ बदला है. अब वो पाकिस्तान और आतंकवाद के पक्ष में नहीं हैं. आज हुर्रियत कहाँ है? शुक्रवार को होने वाले बंद कहाँ हैं? कुछ लोग हैं, जो भ्रमित हैं और अब भी इसमें शामिल हैं. हम उन्हें समझाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. उनके परिवार प्रयासरत हैं. कुछ तंज़ीम (आतंकी गुट) समस्या पैदा कर रहे हैं. हम उनके साथ पूरे दमख़म से लड़ रहे हैं. हम आतंकवाद से नहीं लड़ रहे. हमें आतंकवादियों से लड़ना है. हमें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों के अंदर स्थिति को नियंत्रित कर लिया जाएगा.”
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कश्मीरी पंडितों के अंदर असुरक्षा की भावना और सरकार की ओर से ध्यान न दिए जाने के सवाल पर डोभाल ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि ये सारे कश्मीरी पंडितों की भावना है. हाँ, वो ख़तरे में हैं. उन्हें सुरक्षा की ज़रूरत है. सरकार ने पहले भी कई क़दम उठाए हैं. संभवतः आगे भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है और वो भी हो रहा है. कोई भी सरकार एक-एक व्यक्ति को सुरक्षा देने में सक्षम नहीं है. सबसे अच्छा ये है कि हम आतंकवादियों पर चोट करें और ये सुनिश्चित करें कि ये लोग जो कश्मीरी पंडितों की जान और संपत्ति के लिए ख़तरा हैं, उनकी ज़िम्मेदारी तय हो.”
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डोभाल ने ये भी कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ वार्ता को तैयार है लेकिन केवल अपनी शर्तों पर. उन्होंने कहा, “हमारे विरोधी की पसंद के हिसाब से हम शांति या युद्ध नहीं कर सकते. अगर हमें अपने हितों की रक्षा करनी है, तो हमें तय करना होगा कि कब, किसके साथ और किन शर्तों पर शांति स्थापित की जाए.”
उन्होंने कहा, “शांति होनी चाहिए और हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. हम उनके साथ अच्छे संबंध बनाना चाहेंगे. लेकिन, निश्चित रूप से, आतंकवाद के प्रति हमारी सहनशीलता की सीमा बहुत कम है. हम अपने नागरिकों को आतंकवादियों के लिए नहीं छोड़ सकते. पिछले आठ सालों में जम्मू-कश्मीर के अलावा देश में कहीं कोई आतंकी हमला नहीं हुआ है. कश्मीर में छद्म युद्ध चल रहा है.”
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अजित डोभाल ने कहा, बिल्कुल वापस नहीं होगी अग्निपथ योजना
अजित डोभाल ने अग्निपथ योजना को सेना और राष्ट्र की सुरक्षा के अहम बताया और कहा कि इसे वापस नहीं लिया जाएगा.
अजीत डोभाल ने कहा, ”ये योजना बिल्कुल वापस नहीं होगी. इस पर दशकों से बात हो रही है और नौजवान सेना की मांग हो रही है. हर किसी ने इसकी ज़रूरत महसूस की लेकिन उनमें इसे लागू करने की राजनीतिक इच्छा शक्ति और हिम्मत नहीं थी. 2007 में विदेश मंत्री ने इसे पूरी तरह नंज़रअंदाज किया.”
उन्होंने कहा कि इस योजना को लेकर भ्रम फैला हुआ है.
उन्होंने कहा, ”ये बिल्कुल भ्रम है कि अग्निवीरों का सम्मान नहीं होगा. इनका गाँव में ही नहीं बल्कि वहाँ से बाहर भी उतना ही सम्मान होगा. ये देश की बहुत बड़ी निधि होंगे. वो परिवर्तन को एक नई दिशा देंगे. कई लोगों को निजी कारणों से सेना को छोड़कर आना पड़ता है. क्या उनको सम्मान नहीं मिलता था. इन्हें तो और ज़्यादा मिलेगा क्योंकि उनके लिए आगे भी संभावनाएँ हैं.”
”जब भी कोई परिवर्तन आता है, उसके साथ जुड़े हुए डर, चिंताएँ और आकाक्षाएँ आती हैं. जैसे-जैसे लोगों को अधिक सूचना और बातों का पता चल रहा है वैसे-वैसे लोग इसे समझ रहे हैं. ये तो हमारी पुरानी आवश्यकता थी. वो राष्ट्र के प्रति समर्पित हैं और धीरे-धीरे उनकी चिंताएँ कम हो रही हैं.”
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चार साल बाद सेवानिवृत्त होने वाले अग्निवीरो को लेकर उन्होंने कहा, ”इसे लेकर ग़लतफ़हमी है. हम एक नौजवान व्यक्ति की बात करते हैं तो 22-23 साल का है जिसने सेना में काम किया है और आप बाज़ार में है. वह अनुशासित होगा, उसमें टीम में काम करने क्षमता, कौशल और आत्मविश्वास होगा. उसके लिए सारे रास्ते खुले होंगे. उनके पास 11 लाख रुपए भी हैं जिनसे वो आगे पढ़ सकते हैं और टेक्निकल कौशल भी हासिल कर सकते हैं.”
”इस देश के हर उस युवा को अवसर मिलता है जिसमें देश की रक्षा के लिए इच्छा और प्रेरणा है और प्रतिबद्धता की भावना है. उनकी ऊर्जा और प्रतिभा का इस्तेमाल इस देश को मजबूत बनाने में किया जाता है.”
उन्होंने कहा, ”सेना में जो लोग जाते हैं वो पैसे के लिए नहीं जाती उनमें देशप्रेम, राष्ट्रभक्ति और यौवन की शक्ति होती है. अगर वो भावना नहीं तो आप इसके लिए नहीं बने हैं. शारीरिक क्षमताओं के साथ-साथ देश, नेतृत्व और समाज पर भरोसा रखें.”