Odisha Train Durghatana: ओडिशा से पहले UP के फिरोजाबाद में हुई थी ऐसी भीषण ट्रेन दुर्घटना, तब 358 जानें गई थीं

Odisha Three-Train Accident: ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम तीन ट्रेनें हादसे की ट्रेनों में तब्दील हो गईं। महज कुछ मिनटों के अंतराल पर दुर्घटनाग्रस्त इन ट्रेनों ने 288 लोगों की जिंदगी लील ली। इसे भारतीय रेल इतिहास का अब तक का चौथा सबसे भीषण हादसा कहा जा रहा है। वहीं इसे 1995 के बाद का सबसे भीषण हादसा कहा गया।

बालासोर/भुवनेश्वर: ओडिशा के बालासोर जिले के बहनागा बाजार स्टेशन पर तीन-ट्रेन दुर्घटना में मरने वालों की संख्या शनिवार को बढ़कर 288 हो गई। इसके अलावा 1,000 से अधिक घायल हो गए। 30 सालों में हुई सबसे घातक रेलवे त्रासदी की शुरुआती जांच में पता चला है क‍ि यह एक मानवीय त्रुटि (Human Error) है। शुक्रवार की रात की दुर्घटना के 18 घंटे बाद राहत और बचाव का काम बंद कर दिया गया। ऐसे में अब अधिकारियों ने यह पता लगाने के लिए एक मल्‍टी एजेंसी जांच शुरू की कि कैसे एक सुपरफास्ट ट्रेन अपनी लाइन से लूपलाइन में चली गई। इसके बाद वह खड़ी मालगाड़ी के पीछे से जा टकराई। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए रेलवे सुरक्षा आयुक्त एक अलग जांच करेंगे।

Odisha Three-Train Accident

20 अगस्त 1995 में यूपी के फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस में भिड़ंत से 358 मौतें हुई थीं

रेलवे अधिकारियों की ओर से की गई एक जांच में कहा गया है कि शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस को चेन्नई की ओर मेनलाइन पर जाने के लिए सिग्नल मिला था, लेकिन यह गलत तरीके से लूपलाइन की ओर मुड़ गई। दक्षिण पूर्व रेलवे की एक इंटरनल इंक्वायरी रिपोर्ट में इतना ही बताया गया है। दरअसल कोरोमंडल एक्सप्रेस 100 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से इतनी जोर से दुर्घटनाग्रस्त हुई कि उसका इंजन मालगाड़ी पर चढ़ गया और यात्रियों से भरे 22 डिब्बे पटरी से उतर गए। पटरी से उतरे तीन डिब्बे एक-एक करके पटरियों पर गिर गए। इसी दौरान स्टेशन से गुजर रही बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12864) के पिछले हिस्से से जा टकराई।

‘गलती या लापरवाही से हादसा’

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ने कहा क‍ि कोरोमंडल का लूपलाइन में जाना मानव इंटरफेज के कारण हो सकता है। यह एक गलती या लापरवाही हो सकती है। हादसे के बाद राहत और बचाव दल ने शवों और बचे लोगों को बाहर निकालने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए क्षतिग्रस्त गाड़ियों, मलबे के ढेर और मलबे की तलाशी ली। शनिवार की शाम एक बुल्डोजर ने दो क्षतिग्रस्त डिब्बों को उठाया। इसके नीचे 27 शव बुरी तरह से फंसे हुए पाए गए, जो क‍ि रेल त्रासदी की भयावहता को साफ बताते हैं।

‘दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा’

उधर, पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार दोपहर दुर्घटना स्थल का दौरा किया, जबकि ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने सुबह बहानगा में बचाव अभियान की समीक्षा की। इसके अलावा बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी घटनास्थल का दौरा किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा क‍ि यह हादसा भयानक त्रासदी है। दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। पीएम मोदी कहते हैं क‍ि मैं असहनीय दर्द महसूस कर रहा हूं और कई राज्यों के नागरिकों ने इस यात्रा में कुछ न कुछ खोया है। जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है, उनके लिए यह बहुत दर्दनाक और दर्द से परे परेशान करने वाला है।

‘खून से लथपथ लोगों से घिरा हुआ था, मदद की गुहार लगा रहा था’
उधर, कोरोमंडल एक्सप्रेस में घायल हुए बिहार के 30 वर्षीय पप्पू यादव ने कहा क‍ि यह हादसा मौत को करीब से देखने जैसा था। कुछ ही सेकंड में ऐसा लगा कि ट्रेन हवा में उड़ रही है। फिर एक गगनभेदी दुर्घटना और हमें चारों ओर से पटकते हुए एक झटके के साथ यह रुक गया। मैं खून से लथपथ लोगों से घिरा हुआ था। सहायता के लिए चिल्ला रहा था।

10 सबसे भयानक ट्रेन हादसे जब कांप उठा पूरा देश
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    ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसा हुआ है। कम से कम 250 लोगों के मारे जाने की आशंका है। 900 से ज्यादा घायल हैं। लेटेस्‍ट अपडेट के लिए यहां क्लिक करें​

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    ओडिशा की दुर्घटना इस सदी की सबसे भीषण रेल दुर्घटना है। आइए आपको बताते हैं ऐसे 10 रेल हादसे जब पूरा देश दहल गया।

  • -800-

    6 जून 1981 को खगड़िया से सहरसा जाने पैसेंजर ट्रेन बागमती नदी में समा गई थी। हादसे में कम से कम 800 लोग मारे गए थे। विस्‍तृत रिपोर्ट देखिए​

  • -358-

    20 अगस्‍त, 1995 को यूपी के फिरोजाबाद में एक पैसेंजर ट्रेन दूसरी ट्रेन से टकरा गई थी। 358 लोगों की मौत हुई।

  • -268-

    2 अगस्‍त, 1999 को गैसल स्‍टेशन पर खड़ी अवध-असम एक्‍सप्रेस से ब्रह्मपुत्र मेल टकरा गई थी। 268 लोग मारे गए, 359 घायल हुए।

  • -212-

    26 नवंबर, 1998 को लुधियाना में जम्मू तवी-सियालदाह एक्सप्रेस की बेपटरी हो चुके फ्रंटियर मेल के डिब्बों से टक्‍कर हुई। कम से कम 212 मौतें हुईं।

  • -170-

    2010 में धमाके की वजह से ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पश्चिमी मिदनापुर में बेपटरी होकर एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। माओवादियों के संदिग्ध हमले में कम से कम 170 मारे गए थे।

  • -150-

    8 जुलाई, 1981 को केरल के पेरुमन में आइलैंड एक्‍सप्रेस की टक्‍कर एक पैसेंजर ट्रेन से हुई। करीब 150 लोग मारे गए थे।

  • -150-

    20 नवंबर, 2016 को यूपी के पुखरायां के पास इंदौर-पटना एक्‍सप्रेस बेपटरी हो गई थी। हादसे में करीब 150 लोग मारे गए थे।

भारतीय रेल के इतिहास में तीसरा सबसे बड़ा हादसा
20 अगस्त 1995
यूपी के फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस में भिड़ंत से 358 मौतें हुई थीं।

2 अगस्त 1999
असम के पास गैसल में ब्रह्मपुत्र मेल और अवध-असम एक्सप्रेस की टक्कर में 290 जानें गई थीं।

2 जून 2023
ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनों के बीच हुए हादसे में 261 मौतें हुई थीं।