Odisha Three-Train Accident: ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम तीन ट्रेनें हादसे की ट्रेनों में तब्दील हो गईं। महज कुछ मिनटों के अंतराल पर दुर्घटनाग्रस्त इन ट्रेनों ने 288 लोगों की जिंदगी लील ली। इसे भारतीय रेल इतिहास का अब तक का चौथा सबसे भीषण हादसा कहा जा रहा है। वहीं इसे 1995 के बाद का सबसे भीषण हादसा कहा गया।
रेलवे अधिकारियों की ओर से की गई एक जांच में कहा गया है कि शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस को चेन्नई की ओर मेनलाइन पर जाने के लिए सिग्नल मिला था, लेकिन यह गलत तरीके से लूपलाइन की ओर मुड़ गई। दक्षिण पूर्व रेलवे की एक इंटरनल इंक्वायरी रिपोर्ट में इतना ही बताया गया है। दरअसल कोरोमंडल एक्सप्रेस 100 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से इतनी जोर से दुर्घटनाग्रस्त हुई कि उसका इंजन मालगाड़ी पर चढ़ गया और यात्रियों से भरे 22 डिब्बे पटरी से उतर गए। पटरी से उतरे तीन डिब्बे एक-एक करके पटरियों पर गिर गए। इसी दौरान स्टेशन से गुजर रही बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12864) के पिछले हिस्से से जा टकराई।
‘गलती या लापरवाही से हादसा’
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ने कहा कि कोरोमंडल का लूपलाइन में जाना मानव इंटरफेज के कारण हो सकता है। यह एक गलती या लापरवाही हो सकती है। हादसे के बाद राहत और बचाव दल ने शवों और बचे लोगों को बाहर निकालने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए क्षतिग्रस्त गाड़ियों, मलबे के ढेर और मलबे की तलाशी ली। शनिवार की शाम एक बुल्डोजर ने दो क्षतिग्रस्त डिब्बों को उठाया। इसके नीचे 27 शव बुरी तरह से फंसे हुए पाए गए, जो कि रेल त्रासदी की भयावहता को साफ बताते हैं।
‘दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा’
उधर, पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार दोपहर दुर्घटना स्थल का दौरा किया, जबकि ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने सुबह बहानगा में बचाव अभियान की समीक्षा की। इसके अलावा बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी घटनास्थल का दौरा किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यह हादसा भयानक त्रासदी है। दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। पीएम मोदी कहते हैं कि मैं असहनीय दर्द महसूस कर रहा हूं और कई राज्यों के नागरिकों ने इस यात्रा में कुछ न कुछ खोया है। जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है, उनके लिए यह बहुत दर्दनाक और दर्द से परे परेशान करने वाला है।
‘खून से लथपथ लोगों से घिरा हुआ था, मदद की गुहार लगा रहा था’
उधर, कोरोमंडल एक्सप्रेस में घायल हुए बिहार के 30 वर्षीय पप्पू यादव ने कहा कि यह हादसा मौत को करीब से देखने जैसा था। कुछ ही सेकंड में ऐसा लगा कि ट्रेन हवा में उड़ रही है। फिर एक गगनभेदी दुर्घटना और हमें चारों ओर से पटकते हुए एक झटके के साथ यह रुक गया। मैं खून से लथपथ लोगों से घिरा हुआ था। सहायता के लिए चिल्ला रहा था।
भारतीय रेल के इतिहास में तीसरा सबसे बड़ा हादसा
20 अगस्त 1995
यूपी के फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस में भिड़ंत से 358 मौतें हुई थीं।
2 अगस्त 1999
असम के पास गैसल में ब्रह्मपुत्र मेल और अवध-असम एक्सप्रेस की टक्कर में 290 जानें गई थीं।
2 जून 2023
ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनों के बीच हुए हादसे में 261 मौतें हुई थीं।