Officers and village Pardharn did not come to see the person injured by the bear attack in Kotla Barog

कोटला बरोग में भालू के हमले से घायल  व्यक्ति को देखने नहीं पहुंचे अधिकारी और गाँव के प्रधान 

कोटला बरोग में भालू के हमले से घायल  व्यक्ति को देखने नहीं पहुंचे अधिकारी और गाँव के प्रधान
कोटला बरोग में पांच दिन पहले एक व्यक्ति पर भालू ने हमला कर दिया था।  भालू के हमले से यह गरीब व्यक्ति बेहद गंभीर रूप से घायल हो गया था।  बड़ी मुश्किल और बहादुरी से भालू को धक्का दे कर इस व्यक्ति ने अपनी जान बचाई थी। घायल व्यक्ति भीम दत्त  का इलाज सोलन के क्षेत्रीय अस्पताल में चल रहा है।   भीम के शरीर पर बेहद गहरे घाव है जिसे देख कर ऐसा लगता है कि अभी पूर्ण रूप से ठीक होने में कई महीने लग जाएंगे। गाँववासियों और परिजनों की इस बात की तो ख़ुशी है कि भीमदत्त पूर्ण रूप से सुरक्षित है लेकिन साथ में यह गम भी सता रहा है कि अब परिवार का खर्चा कैसे चलेगा। क्योंकि भीमदत्त ही कड़ी मेहनत कर घर का खर्चा चला रहा था लेकिन अब वह बिस्तर पर पड़ा है।  हैरानी इस बात की है कि कोई भी जिम्मेवार अधिकारी और नेता  अभी तक घायल व्यक्ति का कुशल क्षेम तक जानने नहीं पहुंचा है।
अधिक जानकारी देते हुए घायल व्यक्ति भीमदत्त के परिजनों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि पांच दिन  पहले भालू ने हमला कर भीमदत्त को घायल किया था।  तब से वह अस्पताल में भर्ती है। लेकिन हद तो इस बात की है कि गाँव के प्रतिनिधि पंचायत प्रधान और अन्य पदाधिकारियों ने उनकी कोई सुध लेने का प्रयास भी नहीं किया। वहीँ वन विभाग के अधिकारी भी मौके पर नहीं पहुंचे है।  गाँव के लोग तो कुशलक्षेम जानने आ रहे है लेकिन जिन प्रतिनिधियों पर सुरक्षा का जिम्मा है  जिनकों उनके द्वारा चुना गया है।  वह अपने दायित्व से भागते नज़र आ रहे हैं। उन्होंने   कहा कि गाँव के लोग भालुओं के डर से खेतों में नहीं जा पा रहे है। गाँव में खौफ का आलम बना है ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों को कोई सकारात्मक कदम उठाना चाहिए था। लेकिन वह आँखे बंद कर तमाशा देख रहे हैं।   उन्होंने कहा कि गरीब भीम दत्त घर में इकलौता कमाने वाला था अब उसे घर खर्च तो दूर इलाज करवाना भी मुश्किल हो चला है।  ऐसे में वन विभाग या संबंधित अधिकारियों को उनकी मदद करनी चाहिए थी लेकिन वह नहीं हो पा रही है।