घाटी में बोले उमर: घुटने नहीं टेकेंगे और न भीख मांगेंगे, जम्मू कश्मीर के लोगों के हकों के लिए लड़ेंगे

श्रीनगर में नेकां उपाध्यक्ष ने उमर ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम घुटने नहीं टेकेंगे और न ही भीख मांगेंगे। जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे। हम उनसे सुरक्षा, बंगला या वाहन नहीं मांगेंगे।

Omar Abdullah

विस्तार

नेकां के उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को कानूनी चुनौती दी है और मेरा दिल कहता है कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल किया जाएगा।

घाटी में अन्य मुख्यधारा के राजनीतिक दलों द्वारा नेकां की आलोचना का उल्लेख करते हुए उमर ने कहा कि नेकां अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर लोगों को अंधेरे में नहीं रख रही है, हम इसकी बहाली के लिए शांतिपूर्वक संघर्ष जारी रखेंगे। हम संविधान के दायरे में और कानूनी रूप से लड़ रहे हैं।

उमर ने कहा कि कुछ तत्व चाहते हैं कि पार्टी माहौल खराब करे ताकि उन्हें हमें और निशाना बनाने का बहाना मिल जाए, लेकिन हम अपना शांतिपूर्वक रवैया नहीं खोएंगे और ऊपर वाले ने चाहा तो हम इस लड़ाई में जरूर सफल होंगे।

श्रीनगर में सोमवार को प्रतिनिधि सत्र में उमर ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है, हम घुटने नहीं टेकेंगे और न ही भीख मांगेंगे बल्कि जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे। हम उनसे सुरक्षा, बंगला या वाहन नहीं मांगेंगे।

हमें सिर्फ जम्मू कश्मीर की गरिमा, समृद्धि और इसकी पहचान चाहिए। नेकां ने कई राजनीतिक लड़ाइयां लड़ी हैं। पार्टी की लड़ाई केवल भाजपा या उसकी बी या सी टीम के खिलाफ है, लेकिन प्रशासन भी हमसे लड़ रहा है। हमारे सहयोगियों को बेवजह परेशान किया जा रहा है।

एक समय था जब सुरक्षा प्रदान करने का फैसला आतंकवाद के खतरे के कारण लिया जाता है, लेकिन आज आतंकवाद के बजाय भाजपा के लिए खतरे की धारणा से निर्णय लिया जाता है। सुरक्षा यह देखकर दी जाती है कि कौन सी पार्टी भाजपा के लिए खतरा है।

नेकां के कई वरिष्ठ नेताओं पर हमले हुए हैं, लेकिन अब उनकी सुरक्षा कम है। हम डरने वालों में से नहीं हैं। हमारे इरादे पक्के हैं। ईश्वर ने चाहा तो हम इस राज्य को मौजूदा संकट से बाहर निकाल देंगे। एक सरकारी जलसा आसान है जहां वाहन, माइक्रोफोन, मंच, भोजन सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है।

नारे लगाने वाले भी सरकारी हैं। गत अक्तूबर में बारामुला में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार अपने कर्मचारियों को भी रैली में शामिल होने के लिए आदेश जारी करती है।

अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली अपनी पार्टी की हालिया जनसभा का उल्लेख करते हुए उमर ने कहा कि पैसे खर्च करके इस तरह के आयोजन किए जाते हैं। करोड़ों रुपये रैलियों पर खर्च किए जा रहे हैं और भाषण से पहले गेट बंद कर दिया जाता है ताकि लोग दूर न जा सकें।