2017 में किन 4 नेताओं की सलाह पर तेजस्वी से अलग हुए थे नीतीश? ललन सिंह बोले- ‘एक तो हमारे बगल में ही बैठे हैं’

Lalan Singh On RCP Singh : 2017 में जिन चार नेताओं की सलाह पर नीतीश कुमार ने तेजस्वी का साथ छोड़ा उनमें एक आरसीपी सिंह ही थे। ये खुलासा ललन सिंह ने किया, उन्होंने कहा कि अब आरसीपी बीजेपी के एजेंट बन गए हैं। इसके बाद उन्होंने संजय झा की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक हमारे बीच में ही बैठे हैं। जानिए दो और नेता कौन-कौन से हैं।

lalan singh revealed 4 names who advised nitish kumar to left mahagathbandhan in 2017
2017 में किन 4 नेताओं की सलाह पर तेजस्वी से अलग हुए थे नीतीश? ललन सिंह बोले- ‘एक तो हमारे बगल में ही बैठे हैं’

Bihar News Latest Updates : बिहार में महागठबंधन के साथ मिलकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बन गई है। 8वीं बार नीतीश ने सीएम पद की शपथ ली। वहीं उनके शपथ के तुरंत बाद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह सामने आए। उन्होंने बीजेपी की ओर से लगाए जा रहे आरोपों का एक-एक कर जवाब दिया। साथ ही बताया कि किन वजहों से नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ने का फैसला किया। इसी दौरान ललन सिंह ने ये भी बताया कि आखिर किन चार नेताओं की सलाह पर 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ने का फैसला किया था। बाकायदा नाम लेकर जेडीयू अध्यक्ष ने पूरी बात बताई।

जब जेडीयू अध्यक्ष ने किया संजय झा की ओर इशारा

ललन सिंह ने कहा कि 2017 में जिन चार नेताओं की सलाह पर नीतीश कुमार ने तेजस्वी का साथ छोड़ा उनमें एक आरसीपी सिंह ही थे। वो अब बीजेपी के एजेंट बन गए हैं। इसके बाद उन्होंने संजय झा की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक हमारे बीच में ही बैठे हैं, ये अभी पार्टी में बरकरार हैं। इसके अलावा एक नेता हैं हरिवंश जी। हरिवंश जी राज्यसभा के उपाध्यक्ष हैं। वहीं चौथे सदस्य का नाम जेडीयू अध्यक्ष ने नहीं लिया, ये जरूर कहा कि वे अब राष्ट्रपति के सलाहकार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इन चारों नेताओं ने 2017 में नीतीश कुमार को एनडीए के साथ जाने की सलाह दी थी।

‘2013 तक नीतीश ने कभी BJP से नहीं कहा कौन छोटा भाई-कौन बड़ा’

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यही नहीं ललन सिंह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजेपी और आरसीपी पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने आंख बंद करके बीजेपी पर भरोसा किया लेकिन बीजेपी ने पीठ में छुरा भोंकने का काम किया है। जेडीयू अध्यक्ष ने कहा कि पूरे सम्मान के साथ पार्टी ने गठबंधन धर्म का पालन किया। 2010 के चुनाव में जेडीयू को 118 सीटें मिली थीं, चाहते तो अकेले सरकार बना सकते थे लेकिन नीतीश कुमार ने बीजेपी को बराबर की हिस्सेदारी दी। 2013 तक कभी नीतीश कुमार ने बीजेपी से नहीं कहा कि कौन बड़ा भाई है और कौन छोटा भाई है। 2015 में महागठबंधन से नीतीश कुमार जीते, बाद में जब 2017 में एनडीए में शामिल हो गए तो कहा गया कि जनमत का सम्मान हुआ है और आज जनमत के अपमान की दुहाई दे रहे हैं।

ललन सिंह ने किया NDA में अटल-आडवाणी युग को याद

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ललन सिंह ने कहा, ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का निर्माण कब हुआ था? NDA का निर्माण 1996 में हुआ, जब अटल-आडवाणी-मुरली मनोहर जोशी और हम लोगों के नेता जॉर्ड फर्नांडीस ने मिलकर इस गठबंधन को बनाया था। 17 वर्षों तक हम एनडीए में रहे कोई परेशानी नहीं हुई। इसलिए क्योंकि उस समय एनडीए को जो नेता थे अटल-आडवाणी और जोशी जी वो अपने सहयोगी दलों का सम्मान करते थे। अपने सहयोगी दलों की बात सुनते थे। आज क्या हो रहा एनडीए के नाम पर? अरुणाचल में जेडीयू ने 7 सीटें जीतीं, बीजेपी के खिलाफ में। आपने क्या किया 6 विधायकों को अपने साथ मिला लिया। अटल-आडवाणी के जमाने में ऐसे कोई साथियों को अपनी पार्टी में नहीं मिलाता था।’

नीतीश कुमार के खिलाफ कौन साजिश कर रहा था, ललन सिंह ने बताया