आध्यात्मिक ऊर्जा के बल पर आज भी भक्तों को आशीर्वाद देने आते हैं नीम करोली बाबा, इन्हें बजरंगबली का अवतार भी माना जाता है

आध्यात्मिक ऊर्जा के बल पर आज भी भक्तों को आशीर्वाद देने आते हैं नीम करोली बाबा, इन्हें बजरंगबली का अवतार भी माना जाता है

भारत के ख़ूबसूरत स्थल

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भारत के ख़ूबसूरत स्थल

भारत में बहुत से ऐसे राज्य या स्थल हैं जो न सिर्फ अपनी खूबसूरती बल्कि अपनी रहस्यमय कथाओं के लिए भी जाने जाते हैं। उत्तराखंड भी एक ऐसा ही राज्य है जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यह देवताओं की भूमि है जहां बड़े-बड़े धार्मिक स्थल और ज्योतिर्लिंग मौजूद है, यहा स्थान अबा युवाओं के भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

देवभूमि उत्तराखंड

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देवभूमि उत्तराखंड

यूं तो उत्तराखंड में धार्मिक स्थलों की कोई कमी नहीं है लेकिना आज हम जिस स्थान के विषय में यहाँ चर्चा करने जा रहे हैं वह धार्मिक के साथ-साथ अध्यात्म की राह पर चल रहे लोगों के लिए भी जिज्ञासा का केंद्र है। उत्तराखंड और अल्मोड़ा को जोड़ती सड़क पर स्थित है नीम करोली बाबा का आश्रम, जो समुद्र तल से करीब 1400 किलोमीट ऊपर एक शांत और बेहद खूबसूरत स्थान पर स्थित है। स्थानीय लोग इस आश्रम को कैंची धाम के नाम से भी जानते हैं।

नीम करोली बाबा

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नीम करोली बाबा

वैसे तो नीम करोली बाबा कोई अनजाना नाम नहीं है, लेकिन जो पहली बार इनके बारे में पढ़ा या सुन रहे हैं उनकी जानकारी के लिए बता दें किये वही नेम करोली बाबा हैं जिनके सानिध्य में आने के बाद स्टीव जॉब्स और मार्का जुकरबर्ग अरबतियों की लिस्ट में शुमार हुए।

स्टीव जॉब्स की कहानी

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स्टीव जॉब्स की कहानी

और हाँ, ये कोई सुनी सुनाई बात नहीं है बकल्कि स्वयं एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स ने स्वयं इस घटना के विषय में बताया था कि जब उनकी कंपनी बुरे दौर में गुजर रही थी तब किसी ने उन्हें नीम करोली बाबा के आश्रम में जाने की सलाह दी थी।

अन्य अनुयायी

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अन्य अनुयायी

यहाँ आकार उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हुई और इसके बाद ही उन्होने ‘एप्पल’ का खाका तैयार किया था। इसके बाद स्टेव जॉब्स ने ही फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग को नीमा करोली बाबा के आश्रम जाने के सलाह दी थी। इन दोनों के अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जुलिया रोबर्ट्स भी कैंची धाम आई थी, यहाँ आने के बाद उन्होने हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया था।

हनुमान जी के अवतार

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हनुमान जी के अवतार

नीम करोली बाबा को समर्पित कैंची धाम भिन्न-भिन्न वजहों से जिज्ञासा का केंद्र है। बहुत से लोग बाबा को स्वयं पवनपुत्र हनुमान का ही स्वरूप मानते हैं। दरअसल बाबा हमेशा राम नाम का जापा किया करते थे इसलिए यह भी कहा जाता है कि नीमा करोली बाबा कोई साधारण संत नहीं थे बल्कि उनके भीतर बजरंगबली का स्वरूप देखा जाता था। यही वजह है कि उनके भक्तों ने आश्रम के पास ही पवनपुत्र का मंदिर भी बनवाया है।

बेहद सकारात्मक ऊर्जा का अहसास

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बेहद सकारात्मक ऊर्जा का अहसास

नीम करोली बाबा के आश्रम में पहुँचने वाले लोगों को एक बहुत प्रभावी और सकारात्मक ऊर्जा की मौजूदगी का अहसास होता है। लोगों का कहना है कि भले ही बाबा इस समय वहाँ मौजूद ना हो लेकिन आप अपने दिल में, अपने जहन में जो भी चिंता लेकरा जाते हैं बाबा उसका समाधान अवश्य करते हैं। वर्ष 1973 में बाबा ने अपने प्राणों का त्यागा कर दिया था लेकिन उनकी ऊर्जा को अभी भी महसूस किया जा सकता है।

घर- परिवार का त्याग

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घर- परिवार का त्याग

नीम करोली बाबा को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता था, मात्र 11 वर्ष की उम्र में उनका विवाह हुआ लेकिन जल्द ही अपने गृहस्थ जीवन से उनका मोहा भाँगा हो गया और वे 10 वर्षों तक घर से दूर रहे। इसके बाद पिता के आग्रह पर वे पुनः लौटे, लेकिन ज्यादा समय तक वे सामाजिक और पारिवारिक जीवन के बंधनों में जकड़कर नहीं रह सके और इस बार हमेशा के लिए उन्होने घर त्याग दिया।

वृन्दावन में त्यागे प्राण

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वृन्दावन में त्यागे प्राण

वे अलग-अलग स्थानों का भ्रमण करते, उन्हें हांडी वाले बाबा, लक्ष्मण दास, तिकोनिया वाले बाबा आदि नामों से जाना जाने लगा। कहा जाता है केवल 17 वर्ष की आयु में ही उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उन्हें वृन्दावन में महाराज जी और चमत्कारी बाबा के नाम से जाना जाता था। वृन्दावन में हे उन्होंने देह त्याग किया था।

नीम करोली बाबा का चमत्कार

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नीम करोली बाबा का चमत्कार

माना जाता है नीम करोली बाबा अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा के आधार पारा कहीं भी, किसी भी समय अपने भक्तों के बीच आ भी सकते हैं और अचानक गायब भी हो सकते हैं। यहाँ तक कि देह त्याग करने के बाद भी यहा सिलसिला जारी है।कई बार उन्हें आश्रम के आसपासा देखा भी गया है लेकिन उनका पीछा करने पर वे अचानक विलुप्त हो जाते हैं।