सियासी गलियारों का प्रचलित जुमला है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। मतलब अगर आप माहिर खिलाड़ी नहीं हैं तो कभी भी विकेट उखड़ सकता है। मजा तो तब आता है, जब दोनों ही पेशेवर खिलाड़ी हों। बिहार में दो प्रोफेशनल प्लेयर आमने-सामने हैं। नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर में मुकाबला चल रहा है। जिस पिच पर 17 साल से नीतीश कुमार खेल रहे हैं, उसे खोदने पर प्रशांत किशोर आमादा हैं। मगर ‘चाणक्य’ से ‘चंद्रगुप्त’ बनने की राह पर निकले प्रशांत को कई पथरीले रास्ते मिलने अभी बाकी हैं।
पटना : आज की सियासत का ‘चाणक्य’ अब ‘चंद्रगुप्त’ बनने की राह पर निकल पड़ा है। उसकी नजर पाटलिपुत्र की गद्दी पर है। भले ही वो इस बात को साफ-साफ नहीं कह रहा। मगर उसके तीर बिल्कुल निशाने पर लग रहे। पावर पॉलिटिक्स के कैलकुलेशन में माहिर प्रशांत किशोर अब खुद के लिए बैटल ग्राउंड तैयार कर रहे हैं। पाटलिपुत्र की गद्दी पर सत्तासीन नीतीश कुमार इस बात को बखूबी समझ रहे हैं। चूंकि, प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार दोनों एक साथ बंगले में रह चुके हैं। पिता-पुत्र जैसे संबंध की बात कहते रहे हैं। मगर कल तक जो नीतीश के लिए चाणक्य था, अब उसकी नजर सीधे-सीधे तख्त-ओ-ताज पर है। राजा बनने की ख्वाब देखना और राजा बनना, दो अलग-अलग खासियतें हैं। सत्ता हासिल करने के लिए बहुत सारी कुर्बानियां देनी पड़ती है। संबंधों की तिलांजलि देनी पड़ती है। बंद कमरे की बातों को सार्वजनिक करना पड़ता है। राज़ खोलने पड़ते हैं। प्रशांत किशोर उस रास्ते पर निकल पड़े हैं। नीतीश कुमार तो पहले से ही इसके यूनिवर्सिटी हैं।
बिहार में नीतीश कुमार Vs प्रशांत किशोर
बिहार के नेताओं में प्रशांत किशोर सिर्फ नीतीश कुमार के बातों का जवाब देते हैं। नीतीश कुमार भी पीके को पूरा ‘भाव’ देते हैं। प्रशांत किशोर ने नया खुलासा किया कि ‘जो लोग ये सोच रहे हैं कि नीतीश कुमार सक्रिय रूप से भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय गठबंधन बना रहे हैं, उन्हें ये जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने भाजपा के साथ एक लाइन खुली रखी है। वो अपनी पार्टी के सांसद और राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश के माध्यम से भाजपा के संपर्क में हैं। हरिवंश को इसी वजह से अपने राज्यसभा पद से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा गया है। भले ही JDU ने भाजपा से नाता तोड़ लिया हो। लोगों को ये ध्यान में रखना चाहिए कि जब भी ऐसी परिस्थितियां आती हैं, तो वो भाजपा में वापस जा सकते हैं और भाजपा के साथ काम कर सकते हैं।’ हालांकि प्रशांत के इस बयान पर नीतीश कुमार का रिएक्शन नहीं आया है। मगर उनकी पार्टी ने इसे खारिज किया है।