कभी मजदूरी की रहती थी तलाश , अब फूलों से ‘महकी जिंदगी’… होती है हजारों की आमदनी

Flower Farming: बोकारो के कसमार प्रखंड के कई युवा पहले प्रतिदिन रोजगार की तलाश में शहर जाते थे। अब गांव में फूलों की खेती से इन युवाओं की तकदीर बदल गई है। युवा गांव में ही प्रतिवर्ष हजारों रुपये कमा रहे हैं। उनके जीवनयापन में भी बड़ा बदलाव आया है।

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बोकारो जिले के सुदूरवर्ती कसमार प्रखंड में फूलों की खेती

बोकारो: बोकारो ज़िले के कसमार प्रखण्ड के हिसिंग पहाड़ी के तलहटी में बसा गांव चौड़ा इन दिनों सुर्खियों में है। यह गांव इन दिनों फूलों के हसीन वादियों में तब्दील हो चुका है। दरअसल इस गांव के रहनेवाले युवा किसानों ने पारम्परिक खेती से अलग हटकर गेंदा फूलों की खेती आरम्भ की है औऱ इसे ही अपनी आमदनी का मुख्य स्रोत बनाया है।

इन युवा किसानों का मानना है कि कम लागत और मेहनत के बावजूद इसकी खेती में मुनाफा अधिक है। उनका कहना है कि सब्ज़ियों की खेती से ज्यादा मुनाफा वाली खेती फूलों की है। पड़ोसी ज़िला रामगढ़ के गोला प्रखण्ड के जरीडीह में सबसे पहले इस गांव के किसान लुगनू ने गेंदा फूलों की खेती को लहलहाते देखा तो इसकी पूरी जानकारी इकट्ठा कर अपने 75 डिसमिल ज़मीन पर गेंदा फूलों की खेती वर्ष 2019 में आरम्भ की, उनकी सफलता से प्रेरित हो आज अमित मुर्मू, फुलेश्वर मुर्मू, दामोदर मुर्मू, रशिक मुर्मू अपनी 6 से 7 किसान कई एकड़ जमीन पर गेंदा फूलों की खेती सफलतापूर्वक कर रहे है।

लुगनू बताते है कि हर वर्ष उन्हें 25 से 30 हज़ार का मुनाफा हो जाता है। फूलों की उपज की लागत भी काफी कम है। प्रति पौधा एक रुपया मात्र और साधारण सिचाई से ही फूलों का भरपूर उपज मिल जाता है। साथ ही बताया कि साल में दो बार फूलों की खेती हो जाती है। जनवरी में लगाये गए पौधों से मई जून में फूल मिल जाते है वही जुलाई अगस्त में लगाये पौधों से दिसंबर महीने में फूल मिलना शुरू हो जाता है। आज चौड़ा गाँव के किसान फूलों की खेती कर अधिक मुनाफा कमा रहे है।

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रामगढ़ तथा कुजू है फूलों का बाज़ार
यहां से तैयार फूलों को किसान गांव मे लड़ी बनाकर रामगढ़ के व्यापारियों के साथ अपनी उपज का सौदा करते है। आज इन युवा किसानों ने अपनी मेहनत से जहां पूरे गांव मे गेंदा फूलों की खुशबू बिखेर दी है वही इनकी आमदनी बढ़ने से इनका जीवन स्तर भी सुधरा है।