समय पर प्लॉट का स्वामित्व न देने पर हिमुडा पर एक लाख जुर्माना

प्रदेश अचल संपत्ति नियामक प्राधिकरण ने हिमुडा पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। प्राधिकरण ने शिकायतकर्ता के 17.45 लाख रुपये 10 फसदी ब्याज के साथ लौटाने के आदेश दिए हैं।

हिमुडा पर एक लाख रुपये का जुर्माना

हिमाचल प्रदेश अचल संपत्ति नियामक प्राधिकरण ने हिमुडा पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। प्राधिकरण ने शिकायतकर्ता के 17.45 लाख रुपये 10 फसदी ब्याज के साथ लौटाने के आदेश दिए हैं। हिमुडा को यह राशि दो महीनों के भीतर लौटानी होगी। श्रीकांत बालदी की अध्यक्षता वाली प्राधिकरण की पीठ ने यह निर्णय सुनाया है। दिल्ली की रहने वाली सविता गोयल ने समय पर प्लॉट का स्वामित्व न देने पर हिमुडा के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। प्राधिकरण को बताया गया कि 8 फरवरी 2019 को उसे लॉटरी के आधार पर हिमुडा कॉलोनी धर्मपुर में एक प्लॉट आवंटित किया गया था। हिमुडा ने इस प्लॉट की कुल लागत 47.04 लाख रखी थी। शिकायतकर्ता ने अनुबंध के तहत हिमुडा के पास 17.45 लाख रुपये जमा करवाए थे। अनुबंध की शर्तों के अनुसार हिमुडा को इस प्लॉट का स्वामित्व तीन वर्ष में शिकायतकर्ता को देना था।

आरोप लगाया गया कि शिकायतकर्ता ने कई बार प्लॉट का निरीक्षण किया लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। 23 फरवरी 2021 को शिकायतकर्ता ने हिमुडा को पत्र लिखा और प्लॉट का स्वामित्व जल्द दिए जाने का आग्रह किया। हिमुडा ने अपने जवाब में स्वामित्व देने बारे अपनी असमर्थता जताई। हिमुडा ने प्राधिकरण को बताया कि 80 प्लॉट में से 52 ही बेचे गए हैं। इनके निर्माण कार्य के लिए सरिया और सीमेंट का ठेका हिमुडा स्टोर से दिया गया है। यदि समय पर निर्माण सामग्री मुहैया करवाई जाती है तो इनका निर्माण जल्द पूरा किया जाएगा। यह भी बताया गया कि पानी और सीवरेज की व्यवस्था के लिए उचित विभाग को आग्रह किया गया है। कॉलोनी में आधारभूत सुविधाएं होने पर ही प्लॉट का स्वामित्व दिया जाएगा। प्राधिकरण ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि समय पर प्लॉट का स्वामित्व न देना हिमुडा का अनुचित व्यापार व्यवहार है।

कनिष्ठ अभियंता के छह मंजिला भवन निर्माण पर एनजीटी ने लिया कड़ा संज्ञान

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नगर निगम धर्मशाला में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता के छह मंजिला भवन निर्माण पर कड़ा संज्ञान लिया है। न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और सदस्य अफरोज अहमद ने इसकी जांच के लिए संयुक्त कमेटी का गठन किया है। शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव सहित प्रदेश के मुख्य वन अरण्यपाल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीसी कांगड़ा और नगर निगम आयुक्त को इस कमेटी का सदस्य बनाया गया है। ट्रिब्यूनल ने कमेटी को आदेश दिए कि वह इस मामले की जांच करे और अपनी अनुपालना रिपोर्ट ई-मेल के माध्यम से 10 नवंबर तक ट्रिब्यूनल को भेजे।

स्थानीय निवासी महेंद्र सिंह की ओर से लिखे पत्र पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने संज्ञान लिया है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम धर्मशाला में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता ने छह मंजिला भवन निर्माण किया है। हालांकि, यह भवन उसकी पत्नी के नाम पर है, फिर भी स्वयं निगम में होते हुए नियमों के विपरीत निर्माण किया गया है। कनिष्ठ अभियंता पर आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप भी लगाए गए हैं। आरोप लगाया गया है कि कनिष्ठ अभियंता गैर कानूनी तरीके से अवैध निर्माण, आवंटन और पेड़ कटान में संलिप्त है। ट्रिब्यूनल ने पाया कि पत्र में लगाए गए आरोप गंभीर है। इसकी जांच और रोकथाम जरूरी है। ट्रिब्यूनल ने कमेटी को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच करे और इसके रोकथाम के लिए कानूनी तौर पर आवश्यक कदम उठाएं।