ऊना, 25 अगस्त : प्रदेश के बहु चर्चित पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में पुलिस के हाथ एक और सफलता लगी है। मामले में पुलिस द्वारा तीसरी गिरफ्तारी की गई। वीरवार को पेपर लीक मामले में बिहार मूल के 44 वर्षीय आरोपित अनिल भास्कर ने पुलिस को सरेंडर किया था। सीबीआई द्वारा पहले ही मई माह में पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इससे पूर्व पुलिस द्वारा दो गिरफ्तारियां की चुकी हैं। एएसपी प्रवीन कुमार धीमान ने बताया कि मामले में आरोपित अनिल भास्कर पर पेपर लीक करने की एवज में पैसे ऐंठने का आरोप है। आरोपित द्वारा पहले सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई गई थी। उसके बाद हाईकोर्ट में भी जमानत लगाई गई, लेकिन जमानत याचिका खारिज हो गई। जिसके बाद अनिल भास्कर ने पुलिस को सरेंडर किया है। वहीं पुलिस ने मामले में आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।
अधिनियम में संशोधन के लिए 9 मार्च 2022 को जारी अधिसूचना पहले ही अदालत के समक्ष विचाराधीन है। 13 मई 2022 की अधिसूचना के तहत एक व्यक्ति के दो जगहों पर वोट नहीं हो सकते।
नगर निगम अधिनियम में संशोधन करने वाली 13 मई 2022 की अधिसूचना को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी है। अधिनियम में संशोधन के लिए 9 मार्च 2022 को जारी अधिसूचना पहले ही अदालत के समक्ष विचाराधीन है।
13 मई 2022 की अधिसूचना के तहत एक व्यक्ति के दो जगहों पर वोट नहीं हो सकते। याचिकाकर्ता भी अपने क्षेत्र से वोट कटवा सकता है और शिमला में दर्ज करवाकर वोट डाल सकता है। याचिकाकर्ता ने याचिका का संशोधन करने के लिए अदालत के समक्ष आवेदन किया था। अदालत ने इस आवेदन को स्वीकार करते हुए याचिका में संशोधन को मंजूर किया है।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार से संशोधित याचिका का जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई 29 अगस्त को निर्धारित की है। 9 मार्च, 2022 को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका का जवाब देते हुए राज्य चुनाव आयोग ने 13 मई 2022 को जारी अधिसूचना का हवाला दिया था। जवाब में कहा कि एक व्यक्ति के दो जगहों पर वोट नहीं हो सकते। याचिकाकर्ता भी अपने क्षेत्र से वोट कटवा सकता है और शिमला में दर्ज करवाकर वोट डाल सकता है। यदि इस संशोधन को रद्द किया जाता है तो उस स्थिति में हरेक व्यक्ति शिमला में वोट बनवाएगा जिससे चुनाव में पारदर्शिता नहीं रहेगी। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि 13 मई 2022 की अधिसूचना को वेबसाइट पर न होने के कारण चुनौती नहीं दी जा सकी।
आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने जानबूझकर यह अधिसूचना वेबसाइट पर नहीं डाली। गौरतलब है कि शिमला नगर निगम चुनाव के लिए विधानसभा की तर्ज पर चुनाव सूची बनाने को लेकर नगर निगम अधिनियम में संशोधन किया है। इसमें आरोप लगाया कि नगर निगम अधिनियम में संशोधन संविधान में दिए प्रावधानों के विपरीत है। राज्य सरकार ने इस बारे 9 मार्च, 2022 को अधिसूचना जारी की थी। राज्य सरकार ने राजनीतिक लाभ पाने के लिए संविधान के विपरीत यह अधिसूचना जारी की है। शिमला नगर निगम चुनाव में लगभग 20 हजार लोग अपने मौलिक अधिकार का उपयोग करने से वंचित हो गए हैं। यह भी आरोप लगाया है कि राजनीतिक लाभ पाने के लिए 28 वर्षों के बाद नगर निगम चुनाव नियमों में संशोधन किया है।