चार जुलाई 2021 को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जब उन्हें सत्ता की कमान सौंपी थी, तब अचंभे के साथ उनके नेतृत्व कौशल पर सवाल भी उठे। पार्टी ने एक ऐसे युवा के हाथों में बागडोर सौंपी जिसे मंत्री पद का भी अनुभव नहीं था। चुनौतियां बेशुमार थी क्योंकि कोविड की दुश्वारियों ने राज्य की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी।
दो कार्यकालों को जोड़कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पुष्कर सिंह धामी को आज पूरा एक साल हो गया। इस दौरान धामी ने सत्ता और सियासत के कई रंग देखे। कोविड की दुश्वारियों के बीच राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती का सामना किया। उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने का संकल्प लेने तक के उनके अब तक के इस सफर में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा।
चार जुलाई 2021 को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जब उन्हें सत्ता की कमान सौंपी थी, तब अचंभे के साथ उनके नेतृत्व कौशल पर सवाल भी उठे। पार्टी ने एक ऐसे युवा के हाथों में बागडोर सौंपी जिसे मंत्री पद का भी अनुभव नहीं था। चुनौतियां बेशुमार थी क्योंकि कोविड की दुश्वारियों ने राज्य की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी। राज्य की विकास दर शून्य से नीचे पहुंच चुकी थी।
विधानसभा चुनाव की चुनौती भी सामने थी। इन परिस्थितियों में धामी ने दर्जनों लोकलुभावने फैसले लिए। वो सरकारी विभागों में खाली 22 से 24 हजार पदों को भरने का इरादा हो या कोविड से तबाह विभिन्न वर्गों को राहत देने का फैसला या फिर विकास योजनाओं से जुड़े फैसले, सीएम की ओर से ताबड़तोड़ सौगातें बरसीं। मुख्यमंत्री के रूप में धामी दूसरी पारी के 100 दिन पूरे कर चुके हैं।
चार जुलाई 2021 को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जब उन्हें सत्ता की कमान सौंपी थी, तब अचंभे के साथ उनके नेतृत्व कौशल पर सवाल भी उठे। पार्टी ने एक ऐसे युवा के हाथों में बागडोर सौंपी जिसे मंत्री पद का भी अनुभव नहीं था। चुनौतियां बेशुमार थी क्योंकि कोविड की दुश्वारियों ने राज्य की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी। राज्य की विकास दर शून्य से नीचे पहुंच चुकी थी।
विधानसभा चुनाव की चुनौती भी सामने थी। इन परिस्थितियों में धामी ने दर्जनों लोकलुभावने फैसले लिए। वो सरकारी विभागों में खाली 22 से 24 हजार पदों को भरने का इरादा हो या कोविड से तबाह विभिन्न वर्गों को राहत देने का फैसला या फिर विकास योजनाओं से जुड़े फैसले, सीएम की ओर से ताबड़तोड़ सौगातें बरसीं। मुख्यमंत्री के रूप में धामी दूसरी पारी के 100 दिन पूरे कर चुके हैं।
जानकारों का मानना है कि दूसरी पारी में वह धीमी किंतु सधी चाल से चल रहे हैं। समान नागरिक संहिता, वृद्ध दंपत्तियों को पेंशन, पेंशन बढ़ोतरी, शौर्य पुरस्कारों की राशि बढ़ाने के अलावा मुख्यमंत्री कई और फैसले ले चुके हैं। जानकारों का मानना है कि धामी का हर फैसला उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने का संकल्प है।