ये मां ही कर सकती है: प्रेगनेंसी में हुआ कैंसर, केमोथेरेपी का दर्द सहा लेकिन बच्चे को दिया जन्म

मां बनना दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है, बहुत सी औरतों को जिस दिन ये खबर मिलती है वो उनकी ज़िन्दगी का सबसे खुशनुमा दिन होता है. औरतें अपना पहले से ज़्यादा ख्याल रखती है, भावी जीवन को लेकर अति उत्साहित रहती हैं. क्या हो अगर प्रेग्नेंसी के 5वें महीने में उस औरत को ये पता चले कि उसे एक जानलेवा बीमारी है. कहानियों के समंदर, ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे (Humans of Bombay) ने ऐसी ही एक मां की कहानी शेयर की है. जिसने कैंसर के आगे घुटने नहीं टेके, अपने बच्चे को जन्म दिया और कैंसर को भी हराया.

माता-पिता बनने की खुशी

cancer survivor mother story HOB

महिला ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया, ‘मेरे पति सुगत और मैं बेहद खुश थे. सुगत मेरा हद से ज़्यादा ध्यान रखते ते, मेरे मूड स्विंग्स, क्रेविंग्स सबको धैर्य से हैंडल करते थे. मैं अपने होने वाले बच्चे को उसके पिता के बारे में बताती थी. मेरे बच्चे ने किक मारनी शुरू कर दी थी. मैं और सुगत सिर्फ़ उसे गोद में लेने का इंतज़ार कर रहे थे.’

बच्चे ने हल-चल शुरू कर दी थी तभी ज़िन्दगी बदल गई

breast cancer detected 6th month of pregnancy mother fights all odds to give birth HOB

इंसान की खुशियों को गम में बदलते पलभर का समय नहीं लगता. इस महिला और उसके पति के किस्मत में अभी और परिक्षाएं लिखी थीं. महिला ने बताया, ‘प्रगेनेंसी के 5वें महीने में मैंने अपने बाएं ब्रेस्ट पर लम्प महसूस किया. हम डॉक्टर के पास गए और उन्होंने बताया कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है. मैं टूट चुकी थी. बच्चे का क्या होगा? मुझे पता था कि सुगत भी डरे हुए हैं. उन्होंने मुझसे कहा, तुझे और बच्चे को कुछ नहीं होने दूंगा. और मुझे पता था कि वो हमें कुछ नहीं होने देंगे.’

केमोथेरेपी का दर्द सहा, हार नहीं मानी

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अक्टूबर में केमोथेरेपी शुरू हुई. महिला ने अपने इलाज के बारे में बात करते हुए बताया, ‘मुझे पहला सेशन अच्छे से याद है. मुझे मेरा बच्चा महसूस नहीं हो रहा था. मेरे पास एनर्जी नहीं थी और मैं बच्चे के बारे में सोचकर बहुत घबरा गई. कम से कम 10 घंटे बाद मुझे बच्चे की मूवमेंट महसूस हुई.’

महिला ने बताया कि केमोथेरेपी के हर सेशन के बाद कई दिनों तक भयंकर दर्द होता है. गर्भवती होने की वजह से वो कोई दवा भी नहीं ले सकती थी. महिला ने बताया, ‘मैं ये सोचती थी कि कम से कम मेरा बच्चा सुरक्षित है. सुगत मेरा बहुत ध्यान रखते थे. वो घंटों मुझे मसाज देते, फूल-गुब्बारे लाते. लेकिन इसके बावजूद मुझे चिंता रहती थी. अगर केमोथेरेपी की वजह से बच्चे को कुछ हो गया तो?’

बच्चे को जन्म दिया, ब्रेस्ड फ़ीड नहीं कर सकती थी

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जनवरी में स्वराज का जन्म हुआ. माता-पिता ने चैन की सांस ली. कैंसर की वजह से मां का दूध ज़हरीला बन गया था और वो बच्चे को फ़ीड नहीं कर सकती थी. महिला ने कहा, ‘मुझे बेहद तकलीफ़ हुई लेकिन मेरा बच्चा सुरक्षित था.’

केमोथेरेपी के बाद महिला की रेडियोथेरेपी की गई और जून में ट्रीटमेंट खत्म हुई. अगले 6 महीने हेल्दी डायट, योग आदि की बदौलत वो बिल्कुल ठीक हो गई. आखिरकार वो अपने बच्चे को गोद ले सकती थीं, फ़ीड कर सकती थीं, उसे सुला सकती थीं. इस महिला को कैंसर को हराए एक साल हो गया है. महिला के शब्दों में, ‘लोग मुझे कैंसर सर्वाइवर कहते हैं लेकिन मैं सिर्फ़ एक मां हूं जो अपने बच्चे के लिए ज़िन्दा है.’