दिवाली पर्व पर इस बार रात 10 बजे तक ही लोग पटाखे जला सकेंगे। वायु और ध्वनि प्रदूषण को ध्यान में रखकर जिला प्रशासन ने यह फैसला लिया है। इतना ही नहीं जिला दंडाधिकारी एवं उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने बताया कि अगर राज्य सरकार कोई आदेश पारित नहीं करती है तो प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने के लिए पर्यावरण मित्र पटाखों को ही दिवाली पर जलाने की अनुमति दी जाएगी। पटाखे जलाने का समय रात 8 से 10 बजे के बीच निर्धारित किया है। डीसी ने सभी से प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने के लिए सहयोग करने की अपील की है। 11 दिन बाद दीवाली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में शहर के बाजार सजने शुरू हो गए हैं।
खास तरह से तैयार होते हैं ग्रीन पटाखे
ग्रीन पटाखों से प्रदूषण कम होता है और पर्यावरण के लिए यह अच्छे माने जाते हैं। इन पटाखों को खास तरह से तैयार किया जाता है और इनके जरिये 30 से 40 फीसदी तक प्रदूषण कम होता है। ग्रीन पटाखों में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले हानिकारक रसायन नहीं होते है। इनमें एल्युमिनियम, बैरियम, पोटाशियम नाइट्रेट और कार्बन का प्रयोग नहीं किया जाता है अथवा इनकी मात्रा काफी कम होेती है। इनके प्रयोग से वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकता है।
प्रशासन के फरमान से पटाखा कारोबारी भड़के
दिवाली पर्व पर केवल ग्रीन पटाखे जलाने के प्रशासन के फरमान से पटाखा कारोबारी खफा हैं। कारोबारियों का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये के पटाखे खरीद लिए हैं, अब प्रशासन के ताजा फरमान से उन्हें भारी नुकसान होेने की आशंका है। पटाखा कारोबारी सुरेंद्र, मनीष और देवेंद्र ने कहा कि वह लाखों रुपये के पटाखे खरीदकर ले आए हैं। ऐसे में अब जिला प्रशासन ने ग्रीन पटाखे जलाने को लेकर आए निर्देशों से बाजारों में उनके पटाखे न बिकने से उनका लाखों रुपये बर्बाद होगा। हालांकि दूसरी ओर अगर ग्रीन पटाखे जलेंगे तो श्वास रोगियों को इस दौरान हवा में फैले प्रदूषण से परेशानियों का सामना नहीं करना होगा।