Opinion: 170 साल पहले आज के ही दिन किसी ट्रेन को क्यों मिली थी 21 तोपों की सलामी, जानते हैं?

First Train in India: आप अपना और अपने परिवार के लोगों का जन्मदिन जरूर मनाते होंगे। आपको पता है कि भारतीय रेल का जन्मदिन (Indian Railway Birthday) कब है? आपको नहीं मालूम? तो हम बता देते हैं कि इंडियन रेलवे का जन्मदिन आज ही है। आज ही के दिन, 170 साल पहले देश में पहली बार ट्रेन चली थी। यह ट्रेन बॉम्बे से थाने के बीच चली थी।

First Train of India departed on 16 April 1853
170 साल पहले ऐसे चली थी देश की पहली ट्रेन
नई दिल्ली: आज भारतीय रेल (Indian railways) का जन्मदिन है। जन्मदिन इस मायने में कि साल 1853 को इसी दिन भारत में पहली पैसेंजर ट्रेन (Passenger Train) चली थी। आज से 170 साल पहले कहां से शुरूआत हुई थी रेलवे की और आज कहां तक पहुंच गई। उस समय महज 14 डिब्बों वाली ट्रेन को खींचने के लिए तीन इंजन लगाए गए थे। डिब्बे भी कैसे, आज के रेल डिब्बों से तुलना करें तो वे माचिस की डिब्बी लगेंगे। तब भी वो जमाना अलग था। उत्साह अलग था। इस ट्रेन में उस समय देश के 400 गणमान्य व्यक्तियों को यात्रा का सौभाग्य मिला था।

1st Train

21 तोपों की मिली थी सलामी

भारतीय रेल की पहली ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को दोपहर बाद 03:35 बजे रवाना हुई थी। यह रवानगी तत्कालीन बॉम्बे के बोरीबंदर (Bori Bunder) रेलवे स्टेशन से हुई थी। डेस्टिनेशन था 33 किलोमीटर दूर का थाने (Thane)। देश ही पहली ट्रेन में 14 डिब्बे लगाए गए थे। इन 14 डिब्बों में 400 गणमान्य व्यक्ति बैठे थे। यह कितना बड़ा कार्यक्रम था, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि जब ट्रेन रवाना हुई तो उसे 21 तोपों की सलामी मिली थी। इंडियन रेलवे फैन क्लब एसोसिएशन के मुताबिक इस ट्रेन ने 33.80 किलोमीटर की यात्रा एक घंटा 15 मिनट में पूरी की थी।

तीन इंजन लगाने पड़े थे

आज की तारीख में भले ही 24 डिब्बों की ट्रेन को एक ही इंजन 120 की रफ्तार से दौड़ा लेता है। लेकिन उस समय न तो इतने शक्तिशाली इंजन थे। और न ही इतने बड़े डिब्बे। रेलगाड़ी के छोटे-छोटे डिब्बे होते थे। जैसे बच्चों की माचिस की डिब्बी की रेल। उस समय ट्रेन में न तो ढंग की सीटें होती थी और न इसी शौचालय की व्यवस्था। तब भी देश की पहली ट्रेन में 14 डिब्बे लगाए गए थे। ताकि 400 मेहमानों को बैठाया जा सके। जब ट्रेन इतनी भर गई तो उसे खींचने के लिए कुछ अलग से व्यवस्था की गई। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि देश की पहली ट्रेन को खींचने के लिए तीन इंजन लगाए गए थे।

Train

तीनों इंजन के नाम क्या थे

कई पुस्तकों में ऐसा दावा किया गया है कि देश की पहली ट्रेन को खींचने वाले इंजनों के नाम साहिब, सिंध और सुल्तान (Sahib, Sindh, Sultan) थे। लेकिन रेलवे के कागजातों में इस तरह का कोई प्रमाण नहीं दिखता। पहली ट्रेन के लोकोमोटिव की पहचान अभी भी शोध का विषय है।

क्या वह वाकई में पहली ट्रेन थी

भारतीय रेल भी अपनी पहली ट्रेन यात्रा की तिथि 16 अप्रैल 1853 ही बताता है। लेकिन यहां सवाल उठता है क्या उसी दिन देश में पहली रेल चली थी? तो इसका जवाब है नहीं। दरअसल, वह ट्रेन भारत में पहली व्यावसायिक यात्री सेवा थी। वास्तव में, कुछ अन्य रेलवे कंपनियों ने भारत में कंस्ट्रक्शन मैटेरियल ढोने के लिए 1853 से पहले की ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया था। ऐसे प्रमाण हैं कि साल 1835 में ही, मद्रास में चिंताद्रिपेट (Chintadripet) के पास एक छोटी प्रायोगिक रेल लाईन बिछाई गई थी। इस लाइन का निर्माण 1836 में शुरू हुआ। यह लाइन ग्रेनाइट पत्थर की ढुलाई के लिए थी। यह 1837 में खोला गया था। साल 1836 में ही, त्रिची के पास कोल्लिदम नदी के पार एनीकट के लिए निर्माण सामग्री की ढुलाई के लिए एक रेलवे बनाया गया था। वर्ष 1845 में, सिंचाई कार्यों के लिए पत्थर और निर्माण सामग्री की ढुलाई के लिए एक रेलवे बनाया गया था। उस समय राजमुंदरी के पास गोदावरी पर एक बांध बनाया गया था। उसी के कंस्ट्रक्शन मैटेरियल ढोने के लिए यह रेल लाइन बिछायी गयी थी।

रुड़की में भी बहुत पहले शुरू हो गई थी रेल

सन 1853 से पहले ही तत्कालीन संयुक्त प्रांत के रुड़की में भी रेल लाइन बिछायी गयी थी। दरअसल रुड़की के पास सोलानी घाटी में गंगा नहर की एक परियोजना पर काम चल रहा था। इसी प्रोजेक्ट के लिए सोलानी वायडक्ट का कंस्ट्रक्शन चल रहा था। इस वायडक्ट में 15 मेहराब थे और यह चार किलोमीटर लंबी सोलानी घाटी तक फैला हुआ था। वहीं पिरान कलियर से रुड़की तक करीब 10 किलोमीटर स्टेंडर्ड गेज रेलवे लाइन का निर्माण किया गया। शुरू में वहां माल भरे डिब्बों को आदमी खींचते थे। बाद में इसमें घोड़े का भी उपयोग हुआ। और इसके बाद स्टीम लोकोमोटिव थॉमसन का उपयोग हुआ। इस इंजन का इस्तेमाल 1851 में हुआ था। (कहा जाता है कि 22 दिसंबर 1851 को वहां थॉमसन ने काम करना शुरू कर दिया था)। इसका उपयोग पहुंच तटबंधों के लिए मिट्टी और कंस्ट्रक्शन मैटेरियल की ढुलाई के लिए हुआ था।