पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव का रामचरितमानस को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया। उसके बाद आरजेडी कोटे के ही सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव का भारतीय सेना के खिलाफ विवादित टिप्पणी की। अब जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलियावी का भड़काऊ भाषण। क्या बीजेपी को बिहार में संजीवनी प्रदान करने वाला है?
नील कमल, पटना: बिहार में सात दलों के महागठबंधन के खिलाफ लगभग अकेली खड़ी बीजेपी को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में तगड़ा फायदा हो सकता है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बिहार में बीजेपी को तीन तरफ से फायदा होता दिख रहा है। चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जो टारगेट फिक्स किया है, हो सकता है कि वो उसे पूरा भी कर ले। इसकी वजह से महागठबंधन के बड़बोले नेता हो सकते हैं।
बिहार में हुए उपचुनाव ने दिए संकेत
पिछले साल यानी 2022 के नवंबर और दिसंबर के महीने में बिहार के तीन विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। जिन तीन सीटों पर उपचुनाव हुए थे, उनमें से एक बीजेपी के पास और दो राष्ट्रीय जनता दल के पास थी। उपचुनाव के पहले ये माना जा रहा था कि महागठबंधन में शामिल सात दलों के सामने अकेली खड़ी बीजेपी कहीं ठहर नहीं पाएगी। तीनों सीटों पर महागठबंधन का कब्जा हो जाएगा। लेकिन चुनाव परिणाम ने सारे राजनीतिक कयास को पलट कर रख दिया। बीजेपी ना सिर्फ अपनी सीट बचाने में सफल रही बल्कि उसने महागठबंधन से गोपालगंज की सीट भी छीन ली। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोकामा की सीट भले ही बीजेपी ना जीत सकी हो लेकिन 1995 के बाद पहली बार इस सीट पर चुनावी अखाड़े में उतरी बीजेपी ने 63 हजार वोट लाकर ये साबित कर दिया कि अकेली दिख रही बीजेपी गठबंधन की अपेक्षा ज्यादा मजबूत है।
बीजेपी के हिंदुत्व के मुद्दे को मिली हवा
बिहार की राजनीति में महागठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के नेताओं, खासकर आरजेडी और जेडीयू के नेताओं की ओर से जिस तरह से हिंदुओं की धार्मिक भावना को आहत किया गया है, उससे सीधे तौर पर बीजेपी को ही लाभ मिलने वाला है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आने वाले चुनाव में बिहार बीजेपी हाल ही में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। बीजेपी, गुजरात चुनाव हिंदुत्व मुद्दे के साथ-साथ ये कहकर चुनावी अखाड़े में उतरी थी कि वो सरकार बनाने के लिए नहीं बल्कि सीटों की संख्या का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए चुनाव लड़ रही है। गुजरात में बीजेपी ने ये कर भी दिखाया। अब बिहार में बीजेपी उसी रणनीति के तहत काम करना शुरू कर चुकी है। हिंदुत्व के मुद्दे पर विपक्ष के नेता ही अनर्गल बयानबाजी कर जाने-अनजाने में मतदाताओं को बीजेपी की ओर आकर्षित होने का मौका दे रहे हैं।
राष्ट्रवाद के सामने जाति की राजनीति हो रही फेल
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में राष्ट्रवाद की भावना को जागृत करने का काम किया है। जानकारों का कहना है कि नरेंद्र मोदी की नीतियों से जाति की राजनीति करने वालों को तगड़ा झटका लगा है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव में मतदाता बीजेपी को प्रचंड बहुमत देकर सरकार बनाने का मौका दे रहे हैं। बिहार में इन दिनों हिंदू भावना को लेकर बयानबाजी की जा रही है। भारतीय सेना के ऊपर टिप्पणी की जा रही है। आगामी चुनाव में इसका खामियाजा महागठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों को उठाना पड़ेगा।
बिहार में फिलहाल बीजेपी दिख रही मजबूत
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी फिलहाल मजबूत दिखाई दे रही है। उनका मानना है कि राष्ट्रीय जनता दल और जेडीयू के बीच चल रही खींचतान का सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है। बीजेपी ये चाहती है कि बिहार में आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव ट्रायंगुलर हो। चुनावी जानकारों का कहना है कि जब किसी चुनाव में तीन फ्रंट के बीच लड़ाई होती है तो सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही होता है। इसकी बानगी गुजरात में दिख चुकी है। हालांकि, बिहार में महागठबंधन और बीजेपी के अलावा कोई तीसरा फ्रंट बनेगा या नहीं, इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।