India At T20 World Cup 2022 and Rahul Dravid: टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड से टीम इंडिया को मिली हार के लिए लोग रोहित शर्मा, केएल राहुल, आर अश्विन जैसे प्लेयर को जिम्मेदार मान रहे हैं, लेकिन एक फैन होने के नाते बतौर कोच मुझे राहुल द्रविड़ की नाकामी मुझे सबसे ज्यादा कचोट रही है।
नई दिल्ली: टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों टीम इंडिया को मिली शर्मनाक हार को करीब एक रात का समय बीत चुका है, लेकिन एक क्रिकेट फैन होने के नाते मन अभी भी व्यथित है। व्यथा इस बात का नहीं है कि टीम इंडिया हार गई, कष्ट है कि दुनिया की नंबर वन टी20 टीम के हाथों से पहले ओवर से ही मैच फिसलता गया और हमारी पूरी टीम केवल टुकुर-टुकुर ताकती रही। यह तो मैं भी समझ सकता हूं कि इस हार से टीम इंडिया का हर खिलाड़ी व्यथित होगा, लेकिन तभी जेहन में सवाल उठता है आखिर हमसे कहां चूक हुई कि हमें इतनी दुर्गति झेलनी पड़ी। टीम इंडिया की तरफ से हुई गलतियों पर काफी माथापच्ची के बाद मेरा मन इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि इस हार के लिए कोच राहुल द्रविड़ सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं।
इस वजह से राहुल द्रविड़ को मानता हूं जिम्मेदार
टीम इंडिया में राहुल द्रविड़ इस वक्त सबसे अनुभवी हैं। उनके पास 164 टेस्ट, 344 वनडे, एक टी20 और 89 आईपीएल मैच का अनुभव है। इसके अलावा उनके पास 3 विश्व कप का प्रेशर झेलने का भी अनुभव है। एक विश्व कप में बतौर कप्तान दबाव उठाने का भी अनुभव है। इतना ही नहीं, नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) के प्रमुख की भूमिका निभाने का भी अनुभव है। इसके बाद भी 2022 टी20 विश्वकप में किसी भी मोर्चे पर उनका टीम हित में कोई ऐसा फैसला देखने को नहीं मिला जिसकी अलग से चर्चा की जाए।
लीडरशीप के लिए जब भी भरोसा किया निराशा मिली
क्रीज पर बैटिंग करने की कला के चलते हम फैंस ने आपको ‘द वॉल’ कहकर बुलाना शुरू किया। आपके क्रिकेट कौशल को देखते हुए ही हम 2003 विश्वकप के फाइनल में मिली हार के बाद से आपको कप्तान बनाए जाने की डिमांड करते रहे। 2007 में वेस्टइंडीज में आयोजित विश्वकप में आपकी कप्तानी में टीम को भेजा गया। उम्मीद थी कि आप धीर-गंभीर हैं। शायद आप सौरव गांगुली से बेहतर फैसले लेंगे और 2003 के फाइनल में मिली हार का दर्द भुलाने में मददगार साबित होंगे। लेकिन आपसे निराशा हुई। 2007 के विश्वकप में टीम इंडिया पहले ही राउंड में बांग्लादेश जैसी टीम से हारकर बाहर हो गई। उस वक्त आई रिपोर्ट से स्पष्ट हो चुका था कि आप कोच ग्रेग चैपल के सामने लाचार थे। आपमें बतौर कप्तान इतना मद्दा नहीं था कि टीम हित में अपने हिसाब से फैसले ले सकें। इतनी बड़ी हार के बाद भी हमने आपकी नाकामियों को छुपाने के लिए 2007 की शर्मनाक हार के लिए पूरी तरह से ग्रेग चैपल को जिम्मेदार ठहरा दिया।
उस वक्त भी मन में सवाल आया था कि ग्रेग तो आस्ट्रेलियाई है, भला उसको टीम इंडिया से क्या लगाव होगा, लेकिन राहुल द्रविड़ तो अपना खून है। टीम इंडिया की हार पर उसके खून ने क्यों नहीं उबाल मारे। कप्तान होने के बाद भी उसने आगे बढ़कर टीम हित में फैसले क्यों नहीं लिए। आलम यह रहा कि आप टीम को एकजुट करके भी नहीं रख सके। आए दिन मीडिया में टीम के साथियों के बीच मनमुटाव की खबरें आने लगी। सबकुछ जानते हुए भी मन को सांत्वना दिया कि राहुल द्रविड़ अपने देश का टैलेंट है इसलिए उनकी नाकामियों पर पर्दा डालना भी अपनी ही जिम्मेदारी है।
2021 के टी20 विश्वकप में मिली हार के बाद हमने आप पर एक बार फिर से भरोसा किया। यह भरोसा इसलिए जगा क्योंकि आप नेशनल क्रिकेट एकेडमी के प्रमुख रह चुके थे। इसलिए लगा आप टीम इंडिया के ज्यादातर प्लेयर की ताकत और कमजोरी से आप भली-भांति वाकिब होंगे। इसलिए आपको टीम इंडिया हेड कोच नियुक्त किया गया। इतना तो आप भी समझते होंगे ना कि किसी भी टीम का कोच गार्जियन होता है। उसकी जिम्मेदारी होती है कि हर प्लेयर से टीम हित में बेस्ट निकलवाया जाए। अगर मैदान में मैच के प्रेशर के बीच कोई कप्तान गलत फैसले ले रहा हो, कोई बॉलर गलत लाइन पर बॉल डाल रहा हो, कोई बैट्समैन गलत शॉट हिट कर रहा हो, या कोई फिल्डिंग में गलत अप्रोच रख रहा हो तो बतौर कोच आप तत्काल इन बातों को ऑब्जर्व कर उसे करेक्ट करवाएं। लेकिन पहले 2022 एशिया कप फिर 2022 टी20 विश्वकप में आप अपेक्षाकृत बेहद शांत दिखे।
राहुल द्रविड़ आपने की ये गलतियां
पहले एशिया कप फिर टी20 विश्वकप में आप लगातार रोहित शर्मा और केएल राहुल की ओपनिंग जोड़ी पर ना जाने इतना क्यों भरोसा करते रहे। खासकर केएल राहुल लगातार फ्लॉप होते रहे, लेकिन आपने उनकी जगह किसी दूसरे को मौका देने के बजाय उनकी गलतियों पर पर्दा डालते रहे। एक क्रिकेट फैन होने के नाते इतना तो हम भी समझते हैं कि किसी प्लेयर को अगर तैयार करना है तो उसपर द्विपक्षीय टूर्नामेंट में भरोसा जताया जा सकता है, ना कि वर्ल्ड कप जैसे अहम टूर्नामेंट में। इसके अलावा टी20 जैसे फटाफट क्रिकेट फॉर्मेट में हर टीम शुरुआत के पांच ओवर में तेजी से रन बनाती है। लेकिन आपने टीम इंडिया को ना जाने क्या गुरुमंत्र दिया पूरे टूर्नामेंट में हमारे ओपनर क्रीज पर जमने की जुगत में ही लगे रहे। बांग्लादेश जैसी टीम के ओपनर ने हमारे खिलाफ पॉवरप्ले में 66 रन ठोक डाले, लेकिन हम सेमीफाइनल जैसे महत्वपूर्ण मैच में 15वे ओवर में जाकर 100 रन बना पाए।
मिस्टर द वॉल आपने तो वीरेंद्र सहवाग के साथ क्रिकेट खेली। क्या आप भूल गए कि वनडे या टेस्ट में सहवाग ओपनिंग में तेज तर्रार बैटिंग करके जाते थे ज्यादातर मैच में इंडिया जीतती थी, आप जैसे मध्यम क्रम के बैट्समैन पर से दबाव भी कम हो जाता था। ऐसा लगा जैसे आपने टीम की ओपनिंग बैट्समैन को अपनी तरह से बैटिंग करना सीखा दिया है। अगर आपको अपने तरीके से ही बैटिंग करना सीखाना है तो जरा 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गई पारी का उदाहरण पेश करते, जिसमें आप 44.2 ओवर में बल्लेबाजी के लिए आए और 22 गेंद में फिफ्टी ठोक डाले थे।
आर अश्विन पर इतना यकीन क्यों करते हैं?
आर अश्विन टेस्ट शानदार बॉलर हैं, लेकिन टी20 या वनडे में ज्यादातर मौकों पर टीम के लिए फायदे से ज्यादा नुकसानदायक ही रहे हैं। इंग्लैंड के लेग स्पिनर हमारे बल्लेबाजों को परेशान कर रहे थे, लेकिन आपने यजुवेंद्र चहल को पूरे टूर्नामेंट में बेंच पर बिठाए रखा। ना जानें क्यों आप आर अश्विन पर इतना भरोसा क्यों करते रहे। पूरे टूर्नामेंट में आर अश्विन विरोधी टीम के बैट्समैन के फेवरेट बने रहे, लेकिन आप चुपचाप देखते रहे। इसके अलावा भी दिनेश कार्तिक पर भी ना जानें आप इतना भरोसा क्यों दिखाते रहे। हालांकि सेमीफाइनल में आपने ऋषभ पंत को उतारकर अपनी गलती सुधारने की कोशिश की, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।