कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने के बाद देश में राजनीति गर्म हो गई है। राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके साफ कर दिया है कि वो अडानी मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमला बोलते रहेंगे। वहीं कांग्रेस के साथ विपक्ष भी इस बार साथ आ सकता है और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकता है।
OBC मुद्दे पर संकेत देने की कोशिश
मानहानि के मामले में जिस तरह से बीजेपी राहुल गांधी पर OBC के अपमान का आरोप लगा रही है, उसके मद्देनजर शनिवार को कांग्रेस ने OBC तबके से आने वाले अपने दो मुख्यमंत्रियों को सामने कर कहीं ना कहीं जवाब देने की कोशिश की। कांग्रेस की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान के CM अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को मंच पर राहुल के साथ बैठाया गया। यह कहीं न कहीं देश के ओबीसी तबके को एक संकेत की तरह था कि कांग्रेस के देश के OBC को हमेशा साथ लेकर चलती है। फिलहाल देश के तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, जिसमें से दो राज्यों के सीएम OCB तबके से आते हैं। कांग्रेस बीजेपी के इस आरोप की काट के लिए लोगों के बीच इसी तस्वीर को ले जाने की योजना बना रही है।
पीछे नहीं हटने का मूड दिखा
राहुल ने साफ कर दिया है कि अब बीजेपी और सरकार के खिलाफ कांग्रेस आर या पार की लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने जिस तरह से अपने जेल भेजने या जीवन भर की अयोग्यता के डर को पीछे छोड़ने की बात कही, उससे साफ है कि कांग्रेस अब इस मामले में पीछे हटने वाली नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल की संसदयी अयोग्यता को राहुल और कांग्रेस एक बेहतरीन मौके के तौर पर देख रही है, जिसका फायदा वह आने वाले दिनों में उठाएगी। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह आने वाले दिनों में भारत यात्रा के अगले चरण में एक बार फिर लोगों के बीच जाकर इस लड़ाई को जारी रखेंगे। राहुल के तेवरों से साफ है कि वह अब भी पीएम मोदी को सीधे चुनौती देते रहेंगे।
अडाणी पर हमले और तेज
अडाणी मामले में हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर भी कांग्रेस ने अपनी रणनीति साफ कर दी है। जिस तरह से राहुल गांधी ने कहा कि वह लगातार अडाणी मामले में सवाल पूछते रहेंगे, भले ही उनके खिलाफ कोई भी कर्रवाई क्यों न की जाए। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस इस मामले को भूलने वाली नहीं, बल्कि वह इसे लेकर अपने हमले और तेज करेगी और 2024 तक वह लगातार इस मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जाकर चुनावी मुद्दा बनाती रहेगी।
विपक्षी एकजुटता पर दिखा रास्ता?
राहुल गांधी ने अपनी अयोग्यता को जिस तरह से विपक्ष के हाथों एक हथियार करार दिया, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस विपक्षी एकजुटता के लिए काम करेगी। उन्होंने अपनी अयोग्यता को सिर्फ कांग्रेस के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष के लिए हथियार बताया, उससे साफ है कि कांग्रेस हीं नहीं, दूसरे दलों पर खतरा मंडरा रहा है, जिसका सामना अकेले या बंटकर नहीं मिलकर ही किया जा सकता है। जहां अपने समर्थन के लिए विपक्षी दलों के प्रति आभार जताने के साथ उन्होंने सबको मिलकर चलने की बात कही, उससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस विपक्षी एकजुटता के लिए खुले मन से मिलकर आगे बढ़ने के लिए तैयार है।