आरोपियों को पांच दिसंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश, जानिए क्या है पूरा मामला

शासकीय अधिवक्ता सोमिका अधिकारी ने बताया कि नौ जुलाई 2013 को पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे से संबंधित जमीन अभिलेखों में जमीन नत्थूराम निवासी कांशीराम क्वार्ट्स दून के नाम थी, जिसे शरद सूद ने सतीश गुप्ता व वेद महावर के साथ मिलकर संपत्ति की फर्जी पावर अटार्नी बनाकर तीन अक्तूबर 2012 को नाम पर किया।

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

जमीन को धोखाधड़ी से हड़पने के प्रयास में राजपुर थाने में दर्ज मुकदमे की सुनवाई करते हुए द्वितीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संजय सिंह की अदालत ने आरोपितों को समन जारी कर पांच दिसंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है।

शासकीय अधिवक्ता सोमिका अधिकारी ने बताया कि नौ जुलाई 2013 को पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे से संबंधित जमीन अभिलेखों में जमीन नत्थूराम निवासी कांशीराम क्वार्ट्स दून के नाम थी, जिसे शरद सूद ने सतीश गुप्ता व वेद महावर के साथ मिलकर संपत्ति की फर्जी पावर अटार्नी बनाकर तीन अक्तूबर 2012 को नाम पर किया।

सतीश गुप्ता, वेद महावर व शरद सूद ने फर्जी पावर आफ अटार्नी पर यह जानते हुए कि संपत्ति में लगभग 250 पेड़ हैं को छिपाते हुए रजिस्टर्ड अनुबंध सतीश गुप्ता के नाम किया, जिसमें पूरी भूमि में कोई पेड़ नहीं दिखाया गया।

स्पष्ट होता है कि भूमि को वन विभाग के कब्जे में नहीं, बल्कि अपने कब्जे में मान रहे थे और वनकर्मी जगमोहन रावत, प्रसाद सकलानी और ठेकेदार कुलदीप नेगी सहित फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले शरद सूद, सतीश गुप्ता व वेद महावर ने पेड़ों का कटान कराया।

बताया कि प्रभागीय वनाधिकारी धीरज पांडे व वीरेंद्र जोशी ने बचाने का कार्य किया। शासकीय अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने प्रसाद सकलानी, जगमोहन रावत, सतीश गुप्ता, वेद महावर, धीरज पांडेय व वीरेंद्र दत्त जोशी को समन कर पांच दिसंबर को पेश होने के लिए कहा है। सुनवाई के दौरान पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू समेत बचाव पक्ष के अधिवक्ता मौजूद रहे।