मध्य प्रदेश के मैहर में देशभर से तीर्थयात्री मां शारदा के मंदिर में माथा टेकने आते हैं. इसके साथ ही ये शहर मैहर संगीत घराने के लिए भी मशहूर है. ये वही संगीत घराना है जिसकी स्थापना प्रख्यात सरोद वादक बाबा अलाउद्दीन खान ने की थी. ये शहर हमेशा से धार्मिक एकता का प्रतीक रहा है लेकिन अब इसकी कहानी बदलने जा रही है.
मैहर मंदिर में नहीं काम करेंगे मुस्लिम कर्मचारी
दरअसल, राज्य सरकार के निर्देशानुसार अब मां शारदा मंदिर की प्रबंधन समिति में मुस्लिम कर्मचारियों को काम करने की अनुमति नहीं मिलेगी. हालांकि राज्य सरकार ने ही ये नियम बनाए हैं कि धार्मिक आधार पर किसी भी कर्मचारी को नहीं हटाया जा सकता लेकिन अब मां शारदा मंदिर में 1988 से काम कर रहे दो मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा सकता है. इसके साथ ही मैहर में मांस और शराब की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया गया है.
विश्व हिंदू परिषद ने जारी किया आदेश!
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये दोनों आदेश कथित तौर पर संस्कृति और धार्मिक न्यास मंत्री उषा सिंह ठाकुर से संपर्क करने के बाद विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के समर्थकों द्वारा जनवरी में जारी किए गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस संबंध में मैहर के जिला कलेक्टर अनुराग वर्मा का कहना है कि नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. मंत्री से उनकी टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका. बता दें कि अनुराग वर्मा मैहर मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख भी हैं.
धार्मिक एकता का प्रतीक रहा मैहर
बता दें कि मैहर शहर हमेशा से धार्मिक एकता का प्रतीक रहा है. सरकार का ये आदेश मैहर के धार्मिक एकता के इतिहास पर गहरी चोट कर कर सकता है. प्रसिद्ध संगीतकार और मैहर घराने के संस्थापक बाबा अलाउद्दीन खान का घर मैहर में ही था. भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत को कुछ सबसे बड़े कलाकार, जैसे कि पंडित रविशंकर, पंडित निखिल बनर्जी और उनकी बेटी अन्नपूर्णा देवी तथा पुत्र उस्ताद अली अकबर खान अलाउद्दीन खान के प्रसिद्ध शिष्यों में शामिल हैं.
बाबा अलाउद्दीन खान ने की यहां संगीत साधना
कहा जाता है कि मैहर के महाराजा के दरबार में संगीतकार रहे अलाउद्दीन खान रोजाना 1,063 सीढ़ियां चढ़कर मां शारदा मंदिर में जा कर देवी के सामने रियाज करते थे. पंडित रविशंकर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि मैहर में उनके गुरु अलाउद्दीन खान का घर देवी काली, भगवान कृष्ण और ईसा मसीह की तस्वीरों से भरा हुआ था. वह घर आज भी मैहर में है. अलाउद्दीन खान को उन बच्चों के संरक्षक के रूप में भी जाना जाता है जो एक महामारी के दौरान अनाथ हो गए थे. इस महान संगीतकार ने उन्हें अपने संरक्षण में ले कर मैहर बैंड नाम का एक समूह की शुरुआत की थी, आज भी मौजूद है.
बता दें कि मैहर में मां शारदा का ये मंदिर, देवी शक्ति परंपरा के अनुयायियों के 51 सबसे प्रमुख पीठों में से एक है. 502 ईस्वी में बने इस शहर के नाम को लेकर ये मान्यता है कि माता सती के साथ जब भगवान शिव ने तांडव किया तो मां का हार त्रिकुट पहाड़ी पर जा गिरा. इसी वजह से इस मंदिर और शहर का नाम मैहर, जिसका अर्थ है मां का हार, पड़ गया.