कभी लोन लेके शुरू की थी ऑर्गेनिक खेती, आज कमाई इतनी की सिंगापुर तक बिकता है अनाज..

तेलंगाना का इनभवी गांव पर्यावरण को लेकर एक नई राह दिखाता दिख रहा है। आप इस गांव के अंदर प्रवेश करेंग तो शुरुआत में ही यहां पत्थरों से लिखा मिलेगा, ‘केमिकल फ्री विलेज’। मतलब इस गांव में केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है। अब इस गांव को तेलंगाना का पहला ऑर्गेनिग गांव कहते हैं।

हैदराबाद से 85 किमी दूर इस गांव के पीछ की कहानी जानने के लिए आपको सिर्फ 13 साल पहले जाने की जरूरत है। गांव के 52 परिवारों ने यह निर्णय लिया कि वह पूर्व रूप से प्राकृतिक खेती करेंगे। वह खेती में किसी तरह का पेस्टिसाइड्स या फिर केमिकल का इस्तेमाल नहीं करेंगे। 

 

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में गांव के लोग कहते हैं, शुरुआत में जब वह खेतों में फर्टिलाइजर्स और पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल करते थे तो ज्यादा पैदावार होती थी। लेकिन, उसके बाद के साल में न तो किसी तरह का पैदावार होता है और न ही उनकी कमाई होती है। इसी समय उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि उनके पूर्वज सही कहते थे कि ये एक धीमा जहर है। यह धीरे-धीरे सबको मार देगा।

इस बजट में जिस तरह से प्राकृतिक तौर पर खेती पर जोर दिया गया और बात की गई उसे मूर्त रूप देने के लिए इस गांव को एक मिसाल के तौर पर लिया जा सकता है। गांव के लोगों को कहना है कि सिर्फ एक किसान के करने से कुछ नहीं होगा। ऐसे में पूरे गांव के लोग को मिलकर काम करना होगा जैसे कि इनभवी गांव में देखने को मिला।

गांव के लोगों ने ऑर्गेनिक खेती के लिए पहले 15 हजार तक का लोन लिया था। लेकिन, बाद में स्थिति ये रही कि गांव का कोई भी शख्स कर्ज में नहीं रहा। हर घर में एक ट्रैक्टर और एक साइकिल है, जिससे उनकी जिंदगी आसान बनती चली गई।

organic village

रिपोर्ट में गांव वाले कहते हैं, खेत की जमीनें खराब हो गई थीं। ऐसे में शुरू के 3 से 5 साल में प्रोडक्टिविटी काफी कम थी। लेकिन, फिर ये बढ़ने  लगी। पहले लोग हंसते थे। उनका कहना था कि वे सिर्फ 1000 रुपये में पेस्टिसाइड्स और फर्टिलाइजर का इस्तेमाल कर लेते हैं। वहीं, दूसरी तरफ ये लोग गोबर, नीम के तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन, धीरे-धीरे चीजें बदलीं और दूसरे गांव के लोग भी इसे अपनाने लगे। 

चावल, धान, कॉटन, चिली, तिलहन के साथ-साथ दूसरे फल लोग उगाने लगे। इतना ही नहीं, पहले जो किसान अपने भर का अनाज नहीं पैदा कर पा रहा था, वह अब इतना अनाज और फल की पैदावर कर रहा है कि वह सिंगापुर, हैदराबाद केसाथ-साथ और दूसरे बाजारों में भी उन्हें  बेच रहा है। 

ऐसे में देश के दूसरे राज्य, शहर और गांव के किसानों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। सरकार की तरफ से भी किसानों को इस तरह की ट्रेनिंग की व्यवस्था करानी चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान ऑर्गेनिक खेती पर काम करें। इससे एक तो उन्हें अच्छी कमाई होगी, दूसरा बिना कैमिकल के अनाज मिलेगा।