ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन कश्मीर को लेकर फिर बयानबाजी की है। ओआईसी ने पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए आरोप लगाया है कि जम्मू और कश्मीर पर भारत का अवैध कब्जा है। उसने कश्मीरी लोगों के मानवाधिकारों पर भी ज्ञान दिया है। वहीं, इस्लामी देशों का मसीहा चीन और ईरान में विरोध प्रदर्शनों पर चुप्पी साधे हुए है।
रियाद: इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है। ओआईसी ने अपने बयान में जम्मू और कश्मीर को भारत का अवैध क्षेत्र तक बता दिया। ओआईसी ने पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए कहा है कि 27 अक्टूबर 2022 को जम्मू और कश्मीर पर भारत के कब्जे के 75 साल पूरे हो गए हैं। इस्लामिक देशों के इस संगठन ने कहा कि वह जम्मू और कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करता है। इससे पहले भी ओआईसी ने कई बाद कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ ऐसी ही बयानबाजी की है। हर बार भारत ने ओआईसी को आईना दिखाते हुए उन्हें कश्मीर मुद्दे से दूर रहने की हिदायत दी है। ओआईसी के इस बयान पर कश्मीरी नौकरशाह और आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
अनुच्छेद 370 पर भी बोला ओआईसी
ओआईसी ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे को लेकर भी बयानबाजी की। ओआईसी ने कहा कि इस अवसर पर जनरल सचिवालय, इस्लामिक शिखर सम्मेलन और OIC विदेश मंत्रियों की परिषद के निर्णयों और प्रस्तावों के अनुसार, भारत से 5 अगस्त 2019 को की गई ”अवैध”, ”एकतरफा कार्रवाई” और ”अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त परिवर्तन” के लिए बाद के कदमों को रोकने और उलटने का आग्रह करता है। ओआईसी ने आरोप लगाया कि भारत कश्मीर में जनसांख्यिकी संचरना को बदल रहा है।
ओआईसी को कश्मीर में मानवाधिकारों की याद आई
इस्लामिक देशों के इस संगठन ने कहा कि ओआईसी सचिवालय जम्मू और कश्मीर के निवासियों के बुनियादी मानवाधिकारों के सम्मान की मांग करता है। ओआईसी के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुसार जम्मू और कश्मीर के मुद्दे को हल करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करने के अपने आह्वान को दोहराया।
ओआईसी के कारनामें तो जान लीजिए
ओआईसी कहने को इस्लामी देशों का सबसे बड़ा संगठन है। इसकी स्थापना इन देशों के आपसी संबंधों को मजबूत करने और दुनियाभर में मुस्लिमों की आवाज बनने के लिए की गई थी। ओआईसी की स्थापना के बाद से ही इस पर सुन्नी मुस्लिम देशों का कब्जा है। मुसलमानों का हितैषी होने का दावा करने वाला ओआईसी आज तक चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार पर मुंह नहीं खोला है। सीरिया, ईराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक मुस्लिमों पर यह संगठन चुप्पी साधे रहता है। इतना ही नहीं, ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शनकारियों पर हिंसात्मक कार्रवाई पर भी ओआईसी मुंह सिले हुए बैठा है।
कश्मीरी IAS शाह फैसल ने ओआईसी को दिया जवाब
ओआईसी के जम्मू कश्मीर को लेकर दिए गए बयान पर कश्मीरी नौकरशाह और आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। शाह फैसल ने लिखा कि ये 75 साल नहीं बल्कि 5000 साल के सभ्यतागत रिश्ते हैं, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा पोषित हैं और हमें वह बनाते हैं जो हम हैं। 27 अक्टूबर 1947 इस रिश्ते की सिर्फ एक संवैधानिक पुष्टि थी। शाह फैसल ने आगे कहा कि ओआईसी को अपने भीतर की गड़बड़ी को देखना चाहिए और हमें अकेला छोड़ देना चाहिए। शाह फैसल जम्मू-कश्मीर कैडर के 2009 के आईएएस टॉपर रहे हैं। जिन्होंने 2019 में सेवाओं से इस्तीफा दे दिया था और अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाई थी। वहीं 2022 में शाह फैसल को केंद्र सरकार ने बहाल करते हुए उप सचिव के रूप में तैनात किया है।