नई दिल्ली. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI और उससे जुड़े कई संगठनों को भारत सरकार ने 5 वर्षों के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. केंद्र ने राज्यों को भी इस संगठन के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अधिकार दिया है. PFI के खिलाफ यह कार्रवाई UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून) के प्रावधानों के तहत किया गया है. साथ ही संगठन के खिलाफ संगीन आरोप भी लगाए गए हैं. अब पीएफआई के समर्थन में भी सुर उठने लगे हैं. हैदराबाद से सांसद और AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र के इस कदम का विरोध किया है. उन्होंने ताबड़तोड़ कई ट्वीट करते हुए कहा कि मैं हमेशा से ही पीएफआई के तौर-तरीकों का विरोध करता रहा हूं और लोकतांत्रिक तरीकों का समर्थन किया है. उन्होंने आगे लिखा कि लेकिन पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का समर्थन नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस तरह का बैन वैसे मुसलमानों पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहते हैं.
ओवैसी ने पीएफआई पर लगाए प्रतिबंध के खिलाफ कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘कुछ लोगों द्वारा आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का मतलब यह नहीं है कि पूरे संगठन को ही प्रतिबंधित कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट भी अपने फैसले में कह चुका है कि किसी संगठन से सिर्फ जुड़ाव होना किसी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है.’ उन्होंने आगे लिखा, ‘इस तरह निरंकुशता के साथ प्रतिबंध लगाना खतरनाक है, क्योंकि यह वैसे मुस्लिमों को प्रतिबंधित करना है जो अपने मन की बात कहना चाहते हैं. जिस निरंकुश तरीके से भारत की चुनी हुई सरकार काम कर रही है, उस तर्ज पर तो इस काले कानून के तहत पीएफआई का पर्चा रखने वाला हर मुसलमान युवक गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’