Gujarat Election: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) इस बार गुजरात की 40 से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। पार्टी अब तक अहमदाबाद में तीन सीटों और सूरत की दो सीटों पर अपने उम्मीदवार भी घोषित कर चुकी है…
Gujarat Election 2022
गुजरात में मुसलमानों की आबादी 9.67 फीसदी है। राज्य की 34 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की हिस्सेदारी 15 फीसदी और 21 विधानसभा सीटों पर 20 फीसदी या इससे ज्यादा है। अहमदाबाद की चार, भरूच और कच्छ इलाके की तीन-तीन सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं। मुस्लिम मतदाताओं के एकमुश्त वोट के कारण इनमें से ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल करती रही है। लेकिन इस बार मुस्लिम मतों के दावेदार के रूप में अरविंद केजरीवाल और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टियां भी मैदान में मौजूद हैं। चूंकि, पिछली बार बेहद मामूली वोटों के अंतर से भाजपा उम्मीदवार इन मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव हार गए थे, यदि मुस्लिम मतों में बिखराव हुआ तो भाजपा को इससे लाभ हो सकता है, और वह मुस्लिम बहुल सीटों पर भी जीत दर्ज कर सकती है।
कितने वोट से जीते मुस्लिम उम्मीदवार
2017 के पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छह मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें चार मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। दरियापुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के शेख गयासुद्दीन को 63,712 वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार भरत बारोट को केवल 6,187 वोटों के अंतर से हराया था। भरत बारोट को 57,525 मिले थे।
वानकानेर सीट से कांग्रेस के पीरजादा मोहम्मद जावेद अब्दुल मुतालिब को 72,588 वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार जितेंद्र कांतिलाल कोमानी को केवल 1361 वोटों के अंतर से हराया था, जिन्हें कुल 71,227 वोट हासिल हुए थे। इसी तरह डासडा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नौशादजी बालाजी भाई को 74,009 वोट मिले थे। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार रामलाल ईश्वरलाल वोरा को केवल 3728 वोटों के अंतर से हराया था जिन्हें 70,281 वोट मिले थे।
मुस्लिम उम्मीदवारों में इमरान युसूफ भाई को जमालपुर खाड़िया से सबसे बड़ी जीत हासिल हुई थी। उन्हें 75,346 वोट मिले थे। उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार अशोक भट्ट भूषण को 29,339 वोटों से हराया था। भट्ट को 46,007 वोट हासिल हुए थे। पार्टी के दो अन्य मुस्लिम उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था।
चूंकि, भाजपा उम्मीदवारों को इन सभी सीटों पर काफी कम मतों के कारण हार मिली थी, माना जा रहा है कि यदि इन सीटों पर मुस्लिम मतों में बंटवारा हुआ तो इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है और उसके उम्मीदवार इन मुस्लिम बहुल सीटों पर भी जीत हासिल कर सकते हैं।
क्या ओवैसी बिगाड़ेंगे कांग्रेस का खेल?
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) इस बार गुजरात की 40 से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। पार्टी अब तक अहमदाबाद में तीन सीटों और सूरत की दो सीटों पर अपने उम्मीदवार भी घोषित कर चुकी है।
पिछले साल फरवरी में गुजरात में स्थानीय चुनाव हुए थे। एआईएमआईएम को इन चुनावों में 26 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसमें मुस्लिम बहुल इलाके अहमदाबाद की सात सीटें, गोधरा में छह, मोडासा में नौ और भरूच की एक सीट शामिल है। मुस्लिमों के बीच ओवैसी की बढ़ती लोकप्रियता से माना जा रहा है कि उनके उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव में भी अच्छे वोट मिल सकते हैं। लेकिन इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है जो इन मतों के बल पर कई सीटों पर जीत हासिल करती रही है।
गोपाल इटालिया ने लगाया आरोप
आम आदमी पार्टी के गुजरात अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने आरोप लगाया है कि भाजपा और एआईएमआईएम पार्टी के नेता आपस में संपर्क में हैं। एक समाचार पत्र में छपी एक खबर के आधार पर उन्होंने दावा किया था कि अहमदाबाद महानगरपालिका के भाजपा मेयर किरीट परमार, भाजपा नेता धर्मेंद्र शाह और एआईएमआईएम के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष साबिर काबलीवाला से 19 अक्टूबर को मुलाकात की। यह मुलाकात एआईएमआईएम के अहमदाबाद कार्यालय में हुई। उन्होंने ट्वीट कर पूछा है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है?
कब कितने मुस्लिम उम्मीदवार जीते
1990 के गुजरात विधानसभा चुनाव में दो मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली थी। 1995 में एक, 1998 में पांच, 2002 में तीन, 2007 में पांच, 2012 में दो और 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में चार मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली थी। अहमद पटेल गुजरात से अंतिम मुस्लिम सांसद थे। इस समय गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में एक से भी मुस्लिम सांसद नहीं है।
भाजपा से घट रही मुस्लिम मतदाताओं की दूरी
मुस्लिम मतदाताओं के बारे में कहा जाता है कि वे रणनीतिक वोटिंग करते हैं। वे केवल उसी पार्टी या उम्मीदवार को वोट देते हैं जो भाजपा उम्मीदवारों को हराने में सक्षम होते हैं। लेकिन गुजरात के संदर्भ में यह बात गलत साबित हुई है। सीएसडीएस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में लगभग 20 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया था। भाजपा नेता अमित शाह भी मानते हैं कि उन्हें मुस्लिम मतदाताओं का भी समर्थन मिलता है।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों और 2017 और 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में भी यह संकेत मिला है कि मुस्लिम मतदाताओं के लिए भाजपा अब अछूत पार्टी नहीं रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि गुजरात विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतों का रुझान किस ओर रहेगा?