दीपावली के मौके पर लोगों के घर रौशनी से जगमगाते हैं. लेकिन, कई त्योहारों की तरह दिवाली में भी कुछ मिथकीय धारणाएं हैं. इस दिन भारत में उल्लुओं की बलि दी जाती है. आम धारणा जो कि अब अंधविश्वास बन चुका है कि इस दिन उल्लू की बलि देने पर देवी लक्ष्मी खुश होती हैं और धन की वृद्धि होती है.
WWF (World Wide Fund for Nature) ने उल्लुओं के संरक्षण के लिए भारत में इसके लिए जागरूकता फैलाने और इसकी तस्करी को बंद करने की जरूरत जताई है.
दिपावली पर क्यों देते हैं उल्लू की बलि?
दरअसल हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, उल्लू विशेष रूप से देवी लक्ष्मी का वाहन है. ऐसा कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि प्रदान करती हैं. इसलिए दीपावली के अवसर पर लोग उल्लू की बलि पर विश्वास करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि उल्लुओं को बलि देने से पहले उन्हें पहले शराब पिलाई जाती है. फिर उनकी बलि दी जाती है.
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उनका मानना है कि उल्लू को मारकर वो देवी लक्ष्मी का वाहन छीन लेंगे, जिससे मां लक्ष्मी पूरे साल उनके घरों में रहने के लिए मजबूर होंगी और उनकी किस्मत खुल जाएगी. उनके धन में वृद्धि होगी. इस मिथक के चलते हर साल दीपावली में उल्लुओं की तस्करी बढ़ जाती है.
वन्यजीव एक्टिविस्टों की मानें तो इन जगहों पर उल्लू की होम डिलीवरी की जाती है. तस्कर लोगों से मोटी रकम वसूलते हैं. नवभारत की एक रिपोर्ट के मुताबिक जयपुर और मेरठ से 300-400 रुपए के उल्लू खरीदकर तस्कर इसे 30 से 50 हजार रुपए तक बेचते हैं. जिसको देखते हुए हर साल वन विभाग की तरफ से अलर्ट जारी किया जाता है, जिससे इसकी निगरानी बढ़ाई जा सके.