Padma Awards 2023: लकड़ी और गोबर बेचकर गुज़ारा करती थी, चित्रकारी सीखी, आज दुनियाभर में नाम है

74वें गणंतत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों (Padma Awards 2022) की घोषणा की गई. 106 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा.  इनमें 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्मश्री पुरस्कार शामिल हैं.

पद्म श्री पुरस्कार पाने वालों में मध्य प्रदेश की एक बुज़ुर्ग महिला, जोधैया बाई बैगा (Padma Shri Jodhaiya Bai Baiga) का भी नाम है. बैगा जनजाति की इस महिला ने उम्र के आखिरी पड़ाव में चित्रकारी सीखी और आज उनकी कला का पूरी दुनिया लोहा मानती है.

लकड़ी और गोबर बेचकर गुज़ारा करती थी

Padma Awards 2023 Jodhaiya Bai BaigaANI

मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में रहती हैं जोधैया बाई बैगा. किसी भी अन्य आदिवासी महिला की तरह ही वो भी एक साधारण सी ज़िन्दगी जी रही थीं. वो लकड़ियां, गोबर बेचती थी और उनके पति मज़दूर थे. दोनों किसी तरह गुज़र-बसर कर रहे थे. जब तक जोधैया बाई के पति थे तब तक उनके दिमाग में चित्रकार बनने का ख्याल तक नहीं आया. होनी को कौन टाल सकता है और उम्र के आखिरी पड़ाव तक आते-आते जोधैया बाई के पति की मौत हो गई. जोधैया बाई पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. ऐसे में उन्होंने कला का रुख किया.

67 की उम्र में बैगा चित्रकारी सीखना शुरू किया

Padma Shri Jodhaiya Bai Baiga TBI

उम्र के आखिरी पड़ाव तक आते-आते हमारे अंदर कुछ भी करने की इच्छाशक्ति खत्म सी हो जाती है. जोधैया बाई ने उस उम्र में कुछ नया सीखने का प्रयास किया. Live Mint के लेख के अनुसार, दिवंगत कलाकार आशीष स्वामी पास के ही गांव में जनगण तस्वीर खाना चलाते थे, ये पहले उनका स्टूडियो था. जोधैया बाई ने चित्रकारी सीखना शुरू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

रंगोली से पेपर तक का सफ़र

Padma Awards 2023 Jodhaiya Bai BaigaMitch Crites

जोधैया बाई जब आशीष स्वामी के स्टूडियो पहुंची तब वहां के लोगों को यकिन नहीं हुआ कि वो इस उम्र में इतनी मज़दूरी करती है. स्वामी ने उनसे ज़मीन पर रंगोली बनाने को कहा, उन्होंने प्राकृतिक सफ़ेद, पीले और गेरु रंगों से रंगोली बना दी.

जोधैया बाई ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘वो कहे पहले फर्श पर बनाओ. फिर हम लौकी तोरई पर बनाए, फिर हल, तुलसी का चौरा और लकड़ी पर.’

इसके बाद स्वामी ने जोधैया बाई से कागज़ पर चित्रकारी करने को कहा. जोधैया थोड़ा हिचकिचाई कि अगर कागज़ खराब हो गया तो, स्वामी ने हौंसला दिया. जोधैया हैंडमेड पेपर और कैन्वस पर चित्रकारी करने लगी. महुआ का पेड़ उन्हें सबसे ज़्यादा पसंद है और ये उनकी पेंटिंग्स में भी दिखता है.

जो देखती हैं वो बना देती हैं

Padma Awards 2023 Jodhaiya Bai BaigaIndia Arts Fair

ANI को दिए एक इंटरव्यू में जोधैया बाई ने बताया था कि वो हर जानवर की पेंटिंग बना सकती हैं. जोधैया बाई के शब्दों में, ‘मैं सभी तरह के जानवरों की पेंटिंग करती हूं, जो भी मेरे आस-पास दिखता है. मैं भारत के कई जगहों पर गई हूं. आजकल मैं पेंटिंग के अलावा और कुछ नहीं करती.’

इटली में लगा एक्ज़ीबिशन

Padma Shri Jodhaiya Bai Baiga Indian Tribal

जोधैया बाई की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में लगी है. उनकी कला का डंका विदेशों में भी बजता है. साल 2019 में इटली में उनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगी थी.

नवभारत टाइम्स के लेख के अनुसार, पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाने के लिए जोधैया बाई के परिवार ने किसी भी तरह का प्रयास नहीं किया. आशीष स्वामी की नजर उनके बनाए चित्रों पर पड़ी, जिन्होंने भोपाल के बोन ट्राइबल आर्ट में ट्राइबल आर्ट की जानकार पद्मजा श्रीवास्तव को इसकी जानकारी दी। इस तरह यह सफर शुरू हुआ

2022 में जोधैया बाई बैगा को राष्ट्रपति कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया था.

Padma Shri Jodhaiya Bai Baiga Twitter

जोधैया बाई कभी स्कूल नहीं गई लेकिन उन्होंने बैगा चित्रकारी को विश्व स्तर पर नई पहचान दिलाई है. जोधैया बाई से प्रेरित बैगा जनजाति के अन्य सदस्यों ने भी पेंटिंग्स बनाना शुरू किया.