Mulayam Singh Yadav Padma Vibhushan: उत्तर प्रदेश की सियासत में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी हमेशा एक दूसरे का विरोध करती आई हैं। ऐसे में अपने सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मुलायम सिंह यादव को सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार देने के पीछे बीजेपी की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
लखनऊ: बात तीन दशक पुरानी है। 1989 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) पहली बार यूपी के सीएम बने। अयोध्या में राममंदिर का आंदोलन जोर पकड़ रहा था। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों को रोकने के लिए पुलिस ने गोली चला दी, जिसमें कई की जान भी गई। इससे बिफरी भाजपा ने सियासी मंचों पर मुलायम को ‘रावण’ तक कह डाला। यूपी में सबसे बड़े सियासी प्रतिद्वंद्वी रहे उन्हीं मुलायम को मोदी की अगुआई वाली भाजपा सरकार ने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में एक ‘पद्म विभूषण’ से नवाज सबको चौंका दिया है। नेताजी के उपनाम से जाने जाने वाले सपा संस्थापक पर भाजपा का इतना ‘मुलायम’ होना महज राजनीतिक शिष्टाचार है या उनकी राजनीतिक पूंजी पर नजर, इसके मायने तलाशे जाने शुरू हो गए हैं।
यूपी की सियासत में पिछले तीन दशक से मुलायम व भाजपा एक-दूसरे के विरोध के पूरक रहे हैं। दोनों की राजनीतिक पूंजी ही एक-दूसरे के विरोध पर टिकी थी। यहां तक कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पीएम चेहरा और स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी ने यहां तक कह दिया था कि ‘नेताजी, यूपी को गुजरात बनाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए।’ हालांकि चुनौती के इस सीने में बाद में सम्मान और योगदान के भाव उपजने लगे।