Pahari Day celebrated at Gaiety Theatre, Shimla, an exercise to keep alive the existence of the fading Pahari language, Poets recited poems in Pahari language.

शिमला के गेयटी थियेटर में मनाया गया पहाड़ी दिवस, लुप्त होती पहाड़ी भाषा के अस्तित्व को जीवित रखने की की गई कवायद,कवियों ने पहाड़ी भाषा मे सुनाई कविताएं।

पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में दो कोस के बाद भाषा बदल जाती है। प्रदेश के युवा पहाड़ी भाषाओं और बोलियों को भूलता जा रहा है।पहाड़ी भाषा और बोलियों को जीवित रखने और भावी पीढ़ी को इसके प्रति प्रेरित करने के मकसद से शिमला के गेयटी थियेटर में भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आज पहाड़ी दिवस का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने पहाड़ी भाषा मे कवितायें सुनाई और पहाड़ी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।

जिला शिमला भाषा एवं संस्कृति अधिकारी अनिल हारटा ने बताया कि आज के समय मे प्रदेश के युवा पहाड़ी भाषा व बोलियों को भुलते जा रहे हैं।पाश्चात्य संस्कृति युवा पीढ़ी पर हावी होती जा रही है जिससे रहन सहन में भी बदलाव हुआ है।युवाओं को प्रदेश की पहाड़ी भाषा व संस्कृति के प्रति जागरूक करने के मकसद से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

शिमला जिला के रामपुर में टांकरी,किन्नौर तिब्बती और भोटी,भरमौर में गद्दी भाषा,ऊपरी शिमला में महासू और मंडी में सराजी भाषा का प्रचलन है।पहाड़ी भाषा के संरक्षण के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग पहल कर रहा है।