नरेला फैक्ट्री के अंदर और बाहर दिखा दर्दनाक मंजर, 3 मंजिला इमारत में न इमरजेंसी गेट, न वेंटिलेशन

नरेला फैक्ट्री में लगी आग की जांच कर रही पुलिस टीम को नियमों के पालन में कई खामियां नजर आई हैं। फैक्ट्री की तीन मंजिला इमारत में सिर्फ एक ही एंट्री और एग्जिट गेट है और पूरी इमारत में कहीं इमरजेंसी गेट नहीं है। फैक्ट्री के पास फायर एनओसी थी या नहीं, इसे लेकर भी जांच की जा रही है।

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नरेला फैक्ट्री के अंदर और बाहर दिखा दर्दनाक मंजर, 3 मंजिला इमारत में न इमरजेंसी गेट, न वेंटिलेशन

नरेला इंडस्ट्रियल एरियाः मंगलवार को नरेला इंडस्ट्रियल एरिया स्थित तीन मंजिला फैक्ट्री में लगी आग में मृतकों की संख्या तीन हो गई है। झुलसी हालत में अलग-अलग अस्पताल में भर्ती कराए गए 18 कर्मचारियों में से एक और युवक ने बुधवार को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पुलिस के मुताबिक, मृतक की पहचान 17 वर्षीय समीर के रूप में हुई है। पुलिस का कहना है कि बाकी 17 लोगों में कई की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है। हादसे की जांच फायर डिपार्टमेंट व लोकल पुलिस कर रही है।

​इमारत में न इमरजेंसी गेट, ना वेंटिलेशन की व्यवस्था

डीसीपी आउटर-नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट देवेश कुमार महाला के मुताबिक, मंगलवार शाम को ही हादसे को लेकर गैरइरादतन हत्या व अन्य धाराओं में केस दर्ज कर दिया गया था। इस मामले में बुधवार को पुलिस ने फरार फैक्ट्री मालिक पीतमपुरा निवासी साहिल गर्ग और ठेकेदार वासुदेव यादव को गिरफ्तार कर लिया है। आग लगने की वजह क्या थी, इस बारे में अभी फायर डिपार्टमेंट से रिपोर्ट पुलिस को नहीं मिली है। हालांकि मौके पर छानबीन में पुलिस को नियमों के तहत कई खामियां नजर आईं। मसलन, पूरी फैक्ट्री में सिर्फ एक ही एंट्री और एग्जिट गेट था। इसके अलावा तीन मंजिला इमारत में न कहीं इमरजेंसी गेट था, ना तो प्रॉपर वेंटिलेशन था। ऊपर जाने के लिए भी एक ही सीढ़ी थी। आपात स्थिति के लिए वैकल्पिक सुविधा नहीं मिली। पुलिस अफसर के मुताबिक, फायर एनओसी थी या नहीं, इस बारे में दमकल विभाग जांच कर रहा है।

​​​मशीन में जोरदार धमाके के बाद फैली आग

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बिहार निवासी कृष्ण देव के बयान पर केस दर्ज हुआ है। वह हादसे के चश्मदीद हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 9 बजे फैक्ट्री में थे। जहां अधिक श्रमिक आ चुके थे। फैक्ट्री की दूसरी मंजिल पर सुबह करीब 9:30 बजे सोनू नाम के एक मजदूर ने पीयू लाइन मशीन चालू करने के लिए एमसी उठाई। तभी मशीन में जोरदार धमाका हुआ। उसी धमाके के साथ सोनू फैक्ट्री में सामने की ग्रिल तोड़कर नीचे गिर गए। फैक्ट्री के दूसरे फ्लोर पर आग लग गई और फैक्ट्री के अन्य कर्मचारी अंदर फंस गए। पीयू लाइन मशीन में तकनीकी खराबी की शिकायत श्रमिकों ने कई बार मालिक व ठेकेदार से की, मगर उन लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया। आग में फंसे 20 लोगों को सीढ़ियों की मदद से बाहर निकाला गया जिनमें से मंगलवार को दो की मौत हो गई। जबकि घायल 18 लोगों में 8 को आरएमएल अस्पताल जबकि 10 को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

​गैस लीक होने से हुआ चप्पल फैक्ट्री में ब्लास्ट?

गैस रिसाव के बाद ब्लास्ट होने से आग लगने की बात सामने आई है। हालांकि पुलिस की जांच अभी जारी है। सूत्रों ने बताया कि फैक्ट्री मालिक ने दिल्ली फायर सर्विस से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) भी नहीं ले रखा था। फैक्ट्री की बनावट से साफ जाहिर हो रहा था कि वहां फायर सेफ्टी के नियमों का पालन भी नहीं किया जा रहा था। नियमानुसार इस तरह की फैक्ट्री को फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेना जरूरी होता है। चश्मदीदों ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब 9:30 बजे पहली मंजिल पर हुआ धमाका इतना जोरदार था कि चार कर्मचारी पहली मंजिल की खिड़की की ग्रिल को तोड़ते हुए नीचे गिर गए। इसके बाद आग ने भीषण रूप धारण कर लिया।

​फैक्ट्री में रखा सारा सामान हुआ मिनटों में खाक

सूत्रों ने बताया कि आग इतनी भयंकर थी, जिससे भीतर का सारा सामान जल गया था। इसलिए शुरुआती जांच में पता नहीं चल सका कि वहां किस तरह की गैस का इस्तेमाल हो रहा था, जिसका रिसाव हुआ। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आमतौर पर जब ज्वलनशील गैस का रिसाव होता है तो उसके वेपर (वाष्प) हवा में इकट्ठा हो जाते हैं। इन्हें जब जलने का सोर्स मिल जाता है तो ये जबर्दस्त ब्लास्ट करते हैं। ये धमाका इतना जोरदार होता है, जिसकी चपेट में आने वाले शख्स के चीथड़े तक उड़ जाते हैं और वो गंभीर रूप से जल भी जाता है।