Pakistan Buying Planes for Army : ऐसी भी खबरें हैं कि पाकिस्तान स्पेन से भी तीन और सी-130एच विमान खरीदना चाहता है और इस डील के लिए प्रारंभिक बातचीत शुरू हो चुकी है। इसी तरह की खबरें कनाडा और अमेरिका को लेकर भी हैं जिनसे पाकिस्तान और अधिक सी-130 विमान खरीद सकता है।
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के आर्थिक हालात किसी से छिपे नहीं हैं। मुल्क भारी भरकम कर्ज में डूबा है, जनता महंगाई से त्रस्त है और सत्ता को संभालने वाले नेता चीन, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों के आगे हाथ फैला रहे हैं। इतने बुरे हालात होने के बावजूद पाकिस्तान सरकार सेना के लिए विमान खरीदने जा रही है। हालांकि ये ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट नए के बजाय सेकेंड हैंड होंगे। पाकिस्तान के पास पहले से 16 अमेरिकी C-130 प्लेन हैं लेकिन वह और अधिक विमान खरीदने के लिए बाजार में उतर चुका है।
कुछ दिनों पहले पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने राहत पैकेज के लिए सऊदी अरब और यूएई से गुहार लगाई थी। पाकिस्तान बेल्जियम से सात और सी-130 विमान खरीद रहा है। 25 जुलाई को एक सी-130H विमान ने बेल्जियम के हवाई क्षेत्र में दो घंटे की परीक्षण उड़ान भरी थी। इस पर पाकिस्तानी वायुसेना के चिन्ह बने थे। जल्द ही ये सातों विमान बेल्जियम से पाकिस्तान की ओर उड़ान भरते देखे जा सकते हैं।
श्रीलंका बनने की कगार पर पाकिस्तान सूत्रों के हवाले से खबरों में कहा गया है कि यह डील करीब 500 से 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर में हुई है। गंभीर रूप से कर्ज में डूबे एक देश के लिए यह रकम निश्चित रूप से छोटी नहीं है। ऐसी भी खबरें हैं कि पाकिस्तान स्पेन से भी तीन और सी-130एच विमान खरीदना चाहता है और इस डील के लिए प्रारंभिक बातचीत शुरू हो चुकी है। इसी तरह की खबरें कनाडा और अमेरिका को लेकर भी हैं जिनसे पाकिस्तान और अधिक सी-130 विमान खरीद सकता है। विमानों की ये खरीद ऐसे समय पर हो रही है जब पाकिस्तान ‘अगला श्रीलंका’ बनने की कगार पर खड़ा है।
दर-दर भटक रहे बाजवा, नहीं मिल रही मदद कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने नकदी की कमी से जूझ रहे अपने देश के लिए वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों के तहत सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से संपर्क किया था। इससे पहले बाजवा ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 1.7 अरब डॉलर का महत्वपूर्ण राहत पैकेज दिलाने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी। अप्रैल में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब की यात्रा की, तो वह खाली हाथ लौट आए क्योंकि रियाद ने उन्हें कोई पक्का आश्वासन नहीं दिया था।