पाकिस्तान (Pakistan) की माली हालत (Pakistan Economy) अब दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। देश पर कर्ज का बोझ और बढ़ गया है और कहीं से फिलहाल मदद की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। पाकिस्तान मीडिया की तरफ से बताया गया है कि देश पर कर्ज बढ़कर 60 खरब रुपए पर पहुंच गया है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के कुल कर्ज और देनदारी आसमान पर पहुंच गए हैं। यहां के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की तरफ से बताया गया है कि पाकिस्तान पर अब करीब 60 खरब यानी 59.7 खरब रुपए का कर्ज है। कुल कर्ज में पिछले 74 सालों में 12 खरब रुपए और जुड़ गए हैं। सार्वजनिक ऋण तेजी से बढ़ा है। सार्वजनिक ऋण की अदायगी की जिम्मेदारी सीधे तौर पर सरकार की होती है। पिछले वित्त वर्ष में 9.3 खरब था और जून 2022 तक ये 49.2 खरब पर पहुंच गया। ये आंकड़ें देश के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) की तरफ से जारी किए गए हैं।
बेहद खराब है अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान के हालातों ने दुनिया की चिंताओं को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों की मानें तो ये देश भी जल्द ही श्रीलंका की राह पर चल सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने वादा किया था कि वो अपना कार्यकाल खत्म होने तक सार्वजनिक ऋण को 20 खरब पर ले आएंगे। लेकिन अब देश अंधेरे की तरफ बढ़ रहा है। सेंट्रल बैंक की तरफ से सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए नया कर्ज बुलेटिन जारी किया गया है। इस बुलेटिन से साफ पता लगता है कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की हालत कितनी खराब है।
साथ ही इस बात की जानकारी भी मिलती है कि कितनी तेजी से पाकिस्तान कर्ज के बोझ में टूटता जा रहा है। बैंक की तरफ से बताया गया है कि देश पर कर्ज और देनदारी में इजाफा हुआ है और ये 59.7 खरब पर पहुंच गया है। इसमें पूर्व के वित्त वर्ष की तुलना में 11.9 खरब या 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसका साफ अर्थ यही है कि सन् 1947 से जून 2021 तक अगर कर्ज का हिसाब लगाया जाए तो अकेले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान ही इसमें एक चौथाई का इजाफा हुआ है।
इमरान ने किया चौपट
अगर पाकिस्तान के कुल कर्ज और देनदारी की बात करें तो साल 2018 में ये दोनों ही बराबर स्तर यानी 76.4 फीसदी पर थे। इस साल जून के अंत तक इसमें 89.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी सरकार ने कर्ज रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। देश की तीन बड़ी पार्टियां पूरी तरह से असफल साबित हुई हैं। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के शासनकाल में तो देश का हाल और बुरा हो गया। इमरान के शासन में देश पर 43 सालों में सबसे ज्यादा कर्ज चढ़ गया।
पूर्व पीएम इमरान ने कर्ज का बोझ कम करने का वादा किया जबकि उन्होंने देश को इस स्थिति में लाने के लिए अपने पूर्वजों पर दोष मढ़ दिया। अप्रैल 2022 में जब उन्होंने अपना पद छोड़ तो उस समय देश पर 19.5 खरब का कर्ज था और संकट गहरा गया। पाक पर कर्ज पिछले वित्त वर्ष के खत्म होते-होते 49.2 खरब पर पहुंच गया। एक साल के अंदर ही इसमें 23.4 फीसदी या 9.3 खरब का इजाफा हो गया।
IMF का कर्ज भी बढ़ा
देश पर विदेशी कर्ज भी तेजी से बढ़ रहा है। सिर्फ एक साल के अंदर ही ये 35 फीसदी तक बढ़ गया है और 16.7 खरब पर पहुंच गया। इसमें 4.3 फीसदी का इजाफा हुआ। ये इजाफा पाकिस्तानी रुपये में गिरावट और मांग कर विदेशी मुद्रा भंडार तैयार करने की वजह से हुआ है। अगस्त 2018 के अंत तक विदेशी कर्ज 7.8 खरब पर पहुंच गया था। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से मिले कर्ज में भी 21 फीसदी का इजाफा हुआ। ये सिर्फ एक साल के अंदर हुआ है और पिछले वित्त वर्ष के अंत में ये 1.4 खरब पर पहुंच गया।