तालिबान (Taliban) ने पाकिस्तान (Pakistan) के उन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि मोस्ट वॉन्टेड आतंकी मसूद अजहर अफगानिस्तान में कहीं हो सकता है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान जारी कर उसके दावों का खंडन किया गया है। पाकिस्तान की तरफ से अफगानिस्तान सरकार को चिट्ठी लिखी गई थी।
काबुल: अफगानिस्तान की कमान संभाले तालिबान ने पाकिस्तान की उस चाल को फेल कर दिया है जिसमें उसने मोस्ट वॉन्टेड आतंकी मसूद अजहर की गिरफ्तारी के लिए मदद मांगी थी। अफगान विदेश मंत्रालय की तरफ से आधिकारिक बयान जारी कर पाकिस्तान को फटकार लगाई गई है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अफगानिस्तान किसी भी आतंकी को किसी दूसरे देश के खिलाफ साजिश करने की मंजूरी नहीं देता है। पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर की गिरफ्तारी के लिए अफगानिस्तान को चिट्ठी लिखी गई है।
तालिबान ने कहा बेकार की बातें
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बाल्खी ने कहा है कि सरकार ऐसी सभी रिपोर्ट्स को खारिज करती है जिसमें कहा गया है कि मसूद अजहर ने अफगानिस्तान में शरण लेनी चाही है। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान सभी पक्षों से बिना किसी सुबूत के इस तरह के दावे न करने के लिए करती है। बाल्खी की मानें तो इस तरह की बातें द्विपक्षीय संबंधों को खराब करती हैं।
पाकिस्तान ने अपनी चिट्ठी में कहा था कि अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात मसूद अजहर का पता लगाने, रिपोर्ट करने और गिरफ्तारी में पाकिस्तान की मदद करे। मसूद अजहर को 31 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC 814 के अपहरण के बाद एक भारतीय जेल से रिहा कर दिया गया था। मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र का नामित आतंकी और भारत का मोस्ट वांडेट भी है।
पाकिस्तान की सोची समझी चाल
पाकिस्तान का यह कदम अपने देश को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकालने से जुड़ा हुआ लग रहा है। भारत के सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान सिर्फ दिखावा कर रहा है और कुछ नहीं। उसकी कोशिश ग्रे लिस्ट से बचने के लिए यह जताने की है कि उसने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तरफ से बताई गईं सभी शर्तो को माना है। वह ऐसा करके खुद को एक सुधरे हुए देश के तौर पर दिखाना चाहता है।
सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान ने दूसरी बार अफगानिस्तान का चिट्ठी लिखी है। इससे पहले वह इस साल जनवरी में भी इसी तरह की चिट्ठी लिख चुका था। उस समय तो पाकिस्तान ने इस मसले को अफगानिस्तान सरकार में मंत्री के स्तर तक पहुंचाया था। दूसरी बार चिट्ठी तब लिखी गई है जब एफएटीएफ की टीम 28 अगस्त से तीन सितंबर तक पाकिस्तान के दौरे पर थी। अक्टूबर में फ्रांस की राजधानी पेरिस में एफएटीएफ की एक अहम मीटिंग होनी है। इसी मीटिंग में तय हो जाएगा कि यह देश ग्रे लिस्ट में रहेगा या नहीं।