Malaria Cases in Pakistan : अब पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शहबाज सरकार से भारत से मच्छरदानी खरीदने की अनुमति मांगी है। पाकिस्तान के 26 जिलों में 71 लाख मच्छरदानियों की फिलहाल तत्काल जरूरत है।
इस्लामाबाद : भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ आर्थिक संकट है तो दूसरी तरफ प्रलयकारी बाढ़। अब मलेरिया के कहर ने पाकिस्तान में लोगों का जीना और मुश्किल कर दिया है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि लोगों के पास मच्छरों से अपना बचाव करने के लिए मच्छरदानी तक नहीं है। मुश्किल की इस घड़ी में एक बार फिर पाकिस्तान को भारत की याद आई है। पहले से ही खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने की वजह से पाकिस्तान में भारत के साथ व्यापार मार्ग खोलने की मांग जोर पकड़ रही है। पाकिस्तानी मीडिया की मानें तो शहबाज सरकार भी भारत से व्यापार करने की इच्छुक है ताकि लोगों की मुश्किलों को कम किया जा सके।
पाकिस्तान में नई मुसीबत का नाम है मलेरिया जो बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों में घुसने से जोर पकड़ रही है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो संक्रामक और पानी से पैदा होने वाली बीमारियों से सोमवार को 9 लोगों की मौत हो गई। बीमारियों से मरने वालों का आंकड़ा अब 318 तक पहुंच गया है। बाढ़ से अब तक 1,545 लोगों की जान जा चुकी है जिसमें 551 बच्चे और 318 महिलाएं शामिल हैं। दूषित पानी से पैदा होने वाले मच्छरों की वजह से मलेरिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
26 जिलों में तत्काल चाहिए 71 लाख मच्छरदानियां
अब पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शहबाज सरकार से भारत से मच्छरदानी खरीदने की अनुमति मांगी है। पाकिस्तान के 26 जिलों में 71 लाख मच्छरदानियों की फिलहाल तत्काल जरूरत है। सिंध और बलूचिस्तान के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पिछले दो महीनों में दो लाख लोग मलेरिया से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 22 फीसदी मामले प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम टाइप के हैं। जून के मध्य से पाकिस्तान बाढ़ की चपेट में है जिसके कारण 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
पाकिस्तान में कम होने लगा बाढ़ का पानी
आपदा के बाद डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारी जलजनित बीमारियों और अन्य संक्रमणों में वृद्धि से जूझ रहे हैं और रोगियों के इलाज में जुटे हैं। हालांकि अब कई इलाकों में बाढ़ का पानी कम होना शुरू हो गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि सभी नदियों, झीलों और जलाशयों में जलस्तर अब सामान्य स्तर पर लौट आया है। विशेषज्ञों ने भीषण बाढ़ के हालात के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है। बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित सिंध प्रांत के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, प्रांत में रविवार को कुल 68,418 मरीज सामने आये।