अभी FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान, ऑनसाइट वेरिफिकेशन के बाद तय होगा भविष्य

पेरिस: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने जून 2022 की बैठक में भी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है. ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर-फाइनेंसिंग वॉचडॉग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की निगरानी में पाकिस्तान देशों की ‘ग्रे लिस्ट’ में बना रहेगा. एफएटीएफ का कहना है कि पाकिस्तान ने टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर शर्तों को पूरा नहीं किया है. एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने कहा कि हमारी एक टीम अक्टूबर से पहले पाकिस्तान जाकर, ऑनसाइट शर्तों को पूरा करने के उसके दावों का परीक्षण करेगी, जिसके बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने का फैसला किया जाएगा.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ. (File Photo)

अपने जून 2022 के पूर्ण सत्र में, FATF ने कहा, ‘पाकिस्तान ने अपनी 2 कार्य योजनाओं को काफी हद तक पूरा कर लिया है, जिसमें 34 आइटम शामिल हैं, और यह सत्यापित करने के लिए कि पाकिस्तान के AML (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग) और CFT (कॉम्बैटिंग द फाइनेंसिंग ऑफ टेररिज्म) सुधार शुरू हो गए हैं और जारी हैं. भविष्य में इनके कार्यान्वयन और सुधारों को बनाए रखने के लिए आवश्यक राजनीतिक प्रतिबद्धता बनी हुई है, इसके परीक्षण के लिए हमारी टीम ऑनसाइट विजिट करेगी.’ एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को जून 2018 में ग्रे लिस्‍ट में डाला था. यह संस्था पूरी दुनिया में मनी लॉन्ड्रिंग, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और टेरर फाइनेंसिंग पर निगाह रखती है.

पाकिस्तान 4 वर्षों से FATF की ग्रे लिस्ट में है
अक्टूबर 2018, 2019, 2020, अप्रैल 2021, अक्टूबर 2021 और मार्च 2022 में हुए एफएटीएफ रिव्यू में भी पाकिस्तान को राहत नहीं मिली थी. इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है. एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में ईरान और उत्तर कोरिया शामिल हैं, जिस कारण इन दोनों देशों को बाहर से निवेश पाने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने में काफी परेशानी होती है. एफएटीएफ के अनुसार, इस बार की बैठक में वैश्विक नेटवर्क और पर्यवेक्षक संगठनों के 206 प्रतिनिधि शामिल हुए. इनमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाइयों के एग्मोंट समूह भी मौजूद थे.

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल यानी FATF क्या है?
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force) एक अंतर-सरकारी निकाय है, जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था. इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है. इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है. एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है. इसकी बैठक एक साल में 3 बार आयोजित की जाती है.