Pakistan Flood: पाकिस्तान में बाढ़ के कारण हालात खराब है। पाकिस्तान में आम जनता को राहत के तौर पर दुनिया भर ने मदद दी है। लेकिन अब इस मदद में भी पाकिस्तान में भ्रष्टाचार हो रहा है। पाकिस्तान में भ्रष्टाचार की खबरें सामने आने के बाद अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है।
वॉशिंगटन:पाकिस्तान में बाढ़ ने भयानक तबाही मचाई है। बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। लोगों के पास खाने को नहीं बचा है, जिसके बाद अमेरिका ने राहत सहायता दी है। आम लोगों की मदद के लिए मिले राहत पैकेज में भ्रष्टाचार के जरिए सेंधमारी शुरू हो गई है। भ्रष्टाचार की खबरें सामने आने के बाद अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया, ‘पाकिस्तान ही नहीं, जहां भी अमेरिकी टैक्सपेयर का डॉलर फंसा हुआ है, उसे अमेरिका बेहद गंभीरता से लेता है।’
राहत सामग्री में भ्रष्टाचार पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘यह एक ऐसी चीज है, जिसे हम सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में जहां कहीं भी अमेरिकी टैक्सपेयर का डॉलर फंसा है, बहुत गंभीरता से लेते हैं। खासकर तब जब पाकिस्तान में मानवीय हित दांव पर हैं।’ इस मामले की निगरानी के लिए उठाए गए कदमों पर बोलते हुए प्राइस ने कहा, ‘हमारे USAID कर्मचारी कार्यक्रमों की निगरानी के लिए नियमित यात्राएं करते हैं। हमारे पास DART यानी डिजास्टर असिस्टेंस रेस्पॉन्स टीम है।’
कितना पैसा दिया अमेरिका ने
नेड प्राइस ने आगे कहा, ‘DART के सदस्य सिंध प्रांत के बलूचिस्तान में 10 से ज्यादा बाढ़ प्रभावित इलाकों में गए हैं। 14-27 सितंबर के बीच मदद की स्थिति जानने के लिए दौरा किया गया। इस दौरान ये भी जानने की कोशिश हुई कि क्या ये गतिविधियां मानवीय आवश्यकताओं को पूरा कर रही हैं या नहीं।’ विदेश विभाग के मुताबिक अमेरिका ने इस साल पाकिस्तान को बाढ़ राहत के लिए लगभग 56.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए हैं। इसके अलावा खाद्य राहत के लिए 10 मिलियन अतिरिक्त अमेरिकी डॉलर दिए हैं।
बाढ़ से 1,700 लोगों की मौत
पाकिस्तान में हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर बाढ़ देखने को मिली है। इस बाढ़ ने देश में कहर बरपाया है। बाढ़ के कारण जान-माल को भारी नुकसान हुआ है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक 30 सितंबर तक 1,700 लोगों की मौत हुई। 12,800 लोग घायल हुए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 20 लाख से ज्यादा घर बर्बाद हो गए। 79 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। बाढ़ के कारण लगभग छह लाख लोग राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं। 7 हजार स्कूलों को राहत शिविर में बदल दिया गया है।