‘चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आयी है
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आयी है
चिट्ठी आई है, वतन से चिट्ठी आयी है…’
1986 में आई संजय दत्त, अमृता सिंह, पूनम ढिल्लों, कुमार गौरव और परेश रावल की फ़िल्म नाम (Naam) के साथ आई ये ग़ज़ल इतनी पॉपुलर हुई कि पंकज उधास (Pankaj Udhas) की पहचान बन गई. पंकज उधास ने ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’ जैसी गज़ल भी गाई और उससे भी ख़ूब शोहरत कमाई. हालांकि ये गज़ल महिलाओं को पुरजोर तरीके से ऑब्जेक्टिफ़ाई करती है लेकिन उनकी आवाज़ ऐसी कि ये गुनाह भी माफ़.
वो शख्स जिसकी गज़ल अमीरों की महफिल से लेकर ऑटोरिक्शा और ट्रक में बजते हैं
अगर कभी हाईवे पर सफ़र करने का मौका मिले तो अपनी सेल्फ़ीज़ और गपशप के अलावा पास से गुज़रने वाले ट्रक आदि पर ध्यान दीजिएगा. किसी न किसी ट्रक से ‘ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार’ की आवाज़ आ ही रही होगी. 17 मई, 1951 को गुजरात के एक ज़मींदार परिवार में जन्मे पंकज उधास, आज भले ही बड़ी से बड़ी महफ़िलों को अपनी आवाज़ से जमा देते हैं लेकिन उनकी गज़ल ज़मीनी स्तर पर भी उतनी ही मशहूर हैं.
उनके कॉन्सर्ट में मिली थी शाहरुख को अपनी पहली सैलरी
बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ ख़ान (Shah Rukh Khan) को आज दुनिया जानती है. फ़र्श से अर्श तक के उनके सफ़र में पंकज उधास ने भी एक छोटी सी भूमिका निभाई. The Indian Express के एक लेख के अनुसार, किंग ख़ान को अपनी पहली सैलरी पंकज उधास के ही कॉन्सर्ट में मिली थी. प्रवेशक (Usher) का काम करने के लिए शाहरुख़ को 50 रुपये मिले थे. अभिनेता जॉन अब्राहम को पहला ब्रेक भी पंकज उधास ने ही अपनी गज़ल से दिया था. वो गज़ल थी, ‘चुपके चुपके सखियों से वो बातें करना भूल गई.’ अभिनेत्री समीरा रेड्डी भी को भी पहला ब्रेक पंकज उधास की ‘और आहिस्ता कीजिए बातें’ गज़ल से मिला था. इस गज़ल का वीडियो 90 के दशक के हर बच्चे को याद होगा.
‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाने के लिए एक दर्शक से मिले थे 51 रुपये
पंकज उधास ने राजकोट, गुजरात स्थित संगीत नाट्य अकादमी में तबला बजाने का प्रशिक्षण लिया था. उनके बड़े भाई मनहर उधास, संगीत की दुनिया में चर्चित चेहरा बन चुके थे. News18 के एक लेख की मानें तो भारत-चीन युद्ध के दौरान पहली बार पंकज उधास को बड़े स्टेज पर गाने का मौका मिला. उन्होंने युद्ध में शहीद हुए जवानों की श्रद्धांजलि देते हुए लता जी का ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया. उनकी आवाज़ ने समा बांध दिया और दर्शक दीर्घा से एक सज्जन ने उन्हें 51 रुपये का इनाम दिया. संगीत की दुनिया में ये पंकज उधास की पहली कमाई थी.
किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है उधास जी की लव स्टोरी
कमाल की बात ये है कि उनकी अपनी लव स्टोरी भी पूरी फ़िल्मी है. 70 के दशक की बात है, उधास ने अपनी पड़ोसी फ़रीदा को देखा और उन्हें पहली नज़र में ही प्यार हो गया. फ़रीदा फ़्लाइट क्रू सदस्य थीं और पंकज ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे. दोनों एक-दूसरे को डेट करने लगे. अलग धर्म के होने के बावजूद दोनों अपने परिवार की रज़ामंदी से ही शादी करना चाहते थे. उधास के परिवारवाले तो राज़ी हो गए लेकिन फ़रीदा के घरवालों को मनाने में मेहनत लगी. 1982 में दोनों ने परिजनों को राज़ी कर शादी की.
‘शराबियों का सिंगर’ टैग का अफ़सोस
पंकज उधास को बॉलीवुड में पहला ब्रेक 1972 में फ़िल्म ‘कामना’ से मिला. 1980 में उन्होंने अपनी पहली एल्बम, आहट रिलीज़ की. ग़ौरतलब है कि पंकज उधास ने अपनी गायकी से खूब नाम, दौलत और शौहरत कमाई. लेकिन, उन्हें एक बात का मलाल रहा और वो ये कि उन्हें शराबियों का सिंगर टैग मिल गया है. शराब पर कुछ ही गाने गाए हैं लेकिन फिर भी एक तबका उन्हें यही समझता है.
पंकज उधास की कौन सी गज़ल आपकी फ़ेवरेट है या उनसे जुड़ी कोई याद हो ,तो कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं.