पांवटा साहिब : सरकार की बेरुखी से परेशान किसानों ने एकजुट होकर की हक़ की आवाज बुलंद

पांवटा साहिब, 2 सितंबर : भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले अलग-अलग गांव से  भारी संख्या में जुटे किसानों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव कर दिया।

इस मौके पर भारी संख्या में नौजवान भी जुटे और सभी ने जोरदार नारेबाजी के साथ अपना विरोध दर्ज करवाया। धरने में शामिल हुए छात्रों का कहना था कि उनको किसी ना किसी कोर्स में दाखिला लेना है, लेकिन लगातार फसलों के नुकसान के कारण परिजन महंगी फीस जमा करने में असमर्थ हो चुके हैं। खराब आर्थिक स्थिति के कारण उनका एक साल खराब होने जा रहा है।

किसानों का कहना था कि पहले धान में वायरस के कारण धान की 80% फसल खराब हो चुकी है। अब एक अन्य बीमारी और कीड़े ने मक्की व गन्ने की फसल तबाह कर दी है, जिससे किसानों को भारी नुकसान पहुंचा है। सरकार, कृषि विभाग तथा विश्वविद्यालय की बेरुखी से परेशान

किसान  अब धरने प्रदर्शन को विवश हैं।  न तो किसी ने किसानों से मिलना ठीक समझा न ही उनकी समस्या के निवारण के लिए दवाई आदि का प्रबंध किया गया।

  किसानों का यह भी आरोप है की सरकारी मीटिंग में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक दो किसानों को बुलाकर लीपापोती कर दी जाती है, जबकि जो प्रगतिशील किसान जमीनी स्थिति से वाकिफ हैं, उनको इस मीटिंग में बुलाया तक नहीं जाता।

किसानों ने तहसीलदार वेद अग्निहोत्री से मिलकर भी इस बारे में राजस्व विभाग से फील्ड स्तर के आंकड़े जुटाने को कहा ताकि सरकार को सही स्थिति पता चल सके।

किसानों ने  प्रदेश सरकार से धान मक्का तथा गन्ने में हुए नुकसान को आपदा घोषित करने व स्पेशल गिरदावरी की प्रक्रिया पूरा करते हुए जल्द से जल्द मुआवजे का भुगतान करने की मांग की है।

उधर किसान दूध उत्पादकों ने लंपी चर्म रोग को लेकर सरकार की गंभीरता पर भी सवाल उठाए। अकेले पांवटा साहिब क्षेत्र में ही सैकड़ों पशु इस वायरस से ग्रस्त होकर मर चुके हैं। न तो किसी किसान को ₹30000 मुआवजा मिला है न ही इसको आपदा घोषित किया गया है। सरकार केवल आंकड़ों के मायाजाल और बयानबाजी से किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।

एसडीएम द्वारा प्रदर्शनकारियों को मामले में जल्द कार्यवाही का आश्वासन दिया गया। जिसके बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ।

इस मौके पर वरिष्ठ किसान नेता अनिंदर सिंह नॉटी, जसविंदर बिलिंग, गुरजीत नंबरदार, परमजीत बंगा, भूपिंदर सिंह, अर्जुन बनवैत,परदीप सिंह, गुरनाम गामा, गुरशरण फौजी, सरवर अली, महबूब अली, बक्शी राम, सतनाम सिंह, हरजीत सिंह, बलजीत सिंह, कमल चौधरी, दाताराम चौधरी, रविंद्र सिंह,देवेंद्र सिंह, जस्सू सहित भारी संख्या में किसान और छात्र शामिल रहे।