Papmochani Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी कब? जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

Papmochani Ekadashi 2023 : पापमोचनी एकादशी का व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा। जबकि एकादशी तिथि के आरंभ 17 मार्च मध्य रात्रि से हो जाएगा। इस एकादशी को पाप सो मुक्ति दिलाने वाली बताया गया है। आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी का महत्व और शुभ मुहूर्त कब से कब तक।

 
Papmochani ekadashi date 2023
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Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी के व्रत इस साल 18 मार्च को रखा जाएगा। पापमोचनी एकादशी का व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे उत्तम माना जाता है। पापमोचनी एकादशी का मतलब है पाप या दुष्कर्म को हटाने वाला। एकादशी के व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को अपने पाप से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं पाप मोचनी एकादशी का महत्व और मुहूर्त

पोपमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त
पापमोचनी एकादशी तिथि का आरंभ 17 मार्च को रात के समय 12 बजकर 7 मिनट से होगा और अगले दिन यानी 18 मार्च को एकादशी तिथि 11 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। पापमोचनी एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार, 18 मार्च को रखा जाएगा। व्रत का पारण 19 मार्च को सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर होगा।

पापमोचनी एकादशी का महत्व

पापमोचनी एकादशी के बारे में भविष्योत्तर पुराण और हरिवासर पुराण में भी मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है उसे गाय दान करने जितने पुण्य मिलता है।

पापमोचनी एकादशी व्रत विधि
इस दिन जल्दी उठकर स्नान करें और ध्यान रखें की आप साफ और स्वच्छ वस्त्र ही धारण करें। इसके बाद घर में अपने पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई करके भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। उन्हें पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और श्रीमद्भागवत गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करे। इसके बाद पूजा समाप्त होने पर सूर्य को अर्घ्य दें और फिर केले के पेड़ को जल अर्पित करें। ऐसा करने से आपको भगवान सूर्य और भगवान विष्णु दोनों का आशीर्वाद मिलेगा। इस बात का खास ख्याल रखें की आप एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को न तोड़े। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप के दर्शन करना भी उत्तम माना जाता है।